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________________ क ०३, ९, ४, १–९, ५, १–९ ] सुरवर- सण्ढ - वराइणा रावण पइँ सीण वि सयल - सुरासुर - दिण्ण-पसंसहों खल - खुद्द हुँ पिसुण हुँ दुवियहुँदुन्दुहि वज्जउ प्रज्जउ सायरु अज्जु मियङ्क होउ पहवन्तर अज्जु ध ध - रिद्धि णियच्छउ अज्जु जमहों णिव्वहउ जमत्तणु अञ्जु घणहँ पूरन्तु मणोरह 5 अज्जु पफुल फल वणास ताव दसाणणु आहयणें धाइ मन्दोयरि-मुहु दुम्मणु दुक्ख - महणवें घित्तउ मोकल-केसुं विसण्ठुल-गत्तउ उद्ध-हत्थु उद्धाहावन्तउ उर-हार- दोर - गुप्पन्तउ पीण-पओ हर भारक्कन्तउ णं कोइल-कुल कहि मि पयट्टउ कमल-वाणों' चुक्क कलुण- सरेण रसन्तु पधाइउ हय-गय-भड - रुहिरारुणिय रत्तउ परिर्हेवि परेवि २ I वराकाः. [४] १ गायन्तु. जुज्झकण्डं छसत्तरिमो संधि [१५९ Jain Education International ॥ घत्ता ॥ सयल-काल जे मिग सम्भूया । ते' वि अज्जु सच्छन्दीहूया ॥ ९ [ ४ ] अज्जु अमङ्गलु रक्खस - वंसों ॥। १ अज्जु मणोरह सुरवर सण्ढहुँ ॥ २ अज्जु तवउ सच्छन्दु दिवायरु || ३ वाउ वाउ जगें' अज्जु सइत्तउ ४ अजु जलन्तु जलणु जगे अच्छउ ॥ ५ अज्जु करेउ इन्दु इन्दत्तणु ॥ ६ अज्जु णिरग्गल होन्तु महागह ॥ ७ अज्जु 'गाउ मोकल सरासई' ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ पडिउ सुणेवि स-दोरु स-उरु | धावन्तु सयलु अन्तेउरु ॥ ९ [५] पिय-विओय-जालो लि - पलित्तउ ॥ १ विहडफडु णिवन्तुन्त ॥ २ अंसु-जलेण वसुह सिञ्चन्त ॥ ३ चन्दण- छड-कद्दमें खुप्पन्तउ ॥ ४ कज्जल-जल-मल - मइलिज्जन्तड ॥ ५ गणियारि-जह विच्छुट्टउ ॥ ६ र्ण" हंसिउलु महासर- मुक्कउ ॥ ७ णिविसें रण-धरित्ति सम्पाइ ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ समर - वसुन्धर सोह ण पावइ । थिय रावण- अणुमरणें णावइ ॥ ९ 5 Ps तेण.. 4. 1Ps, A हो. 2PSA °गि. 3Ps हु.4Ps °लु. 5s अहो पप्फु. 6 Ps°ह. 5.1Ps पिउ. 2 SA A. 3 P 7s A हंस 8 परिहवेवि, S. थरिहरेवि. तउ. 43.5 P°डोर, s°दोरु. 64 हुं.. → 15 For Private & Personal Use Only 20 25 www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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