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________________ ७-६२,१-१३,-८ १५८] सयम्भुकिउ पउमचरिउ लङ्काउरि-पायारें व पडियएँ तम-सङ्घाएँ व पुजेवि मुक्कएँ सीय-सयत्तण व्व णिचडियएँ ॥ ७ अञ्जण-सेलें व थाणहाँ चुक्कएँ ॥८ ॥ घत्ता ॥ चित्तइँ रण रयणीयर-णामहुँ । सुर-कुसुमइँ सिरें लक्खण-रामहुँ ॥९ तेणं पडन्तें पाडियइँ पाण महारहें महिहरहों अमरेंहिँ साहुक्कारिऍ हरि-वलें बिजए पघुट्टे समुट्ठिएँ कलयलें ॥१ तहिँ अवसरें मणि-गण-विप्फुरियहें उप्परें कैरु करेदि णिय-छुरियहें ॥२ अप्पउँ हणइ विहीसणु जाहिँ . मुच्छऍ णाइँ णिवारिउ तावेहिँ ॥३ 10 णिवडिउ धरणि-पट्टे णिच्चैयणु दुक्खु समुट्ठिउ पसरिय-वेयणु ॥४ चरण धरेवि रुएवऍ लग्गउ 'हा भायर मई मुऍवि कहिं गउ ॥५ हा हा भायर ण किउ णिवारिउ जण-विरुद्ध ववहरिउ णिरारिउ ॥६ हा भायर सरीर सुकुमारऍ केम वियारिउ चक्कहों धारऍ ॥७ हा भायर दुण्णिदएँ भुत्तउ सेज मुऍवि किं महियले सुत्तउ ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ किं अवहेरि करेवि थिउ सीसे चडाविय चलण तुहारा । अच्छमि सुझुम्माहियउ हियउ फुट्ट आलिङ्गि भडारा' ॥९ [३] . रुअइ विहीसणु सोयकमियउ 'तुहुँ णत्थमिउ वंसु अत्थमियउ ॥१ 20 तुहुँण जिओऽसि सयलु जिउ तिहुअणु तुहुँण मुओऽसि मुअउ वन्दिय-जणु ॥२ तुहुँ पडि ओऽसि ण पडिउ पुरन्दरु मउडु ण भग्गु भग्गु गिरि-मन्दरु ॥ ३ दिट्टि ण ण णट्ट लङ्काउरि वाय ण ण णट्ट मन्दोयरि॥४ हारु ण तुटुं तुटु तारायणु । हियउ ण भिण्णु भिण्णु गयणङ्गणु ॥५ चक्क ण ढकढुक्क एक्वन्तर आउ ण खुट्ट खुट्ट रयणाय ॥६ 2 जीउ ण गउ गउ आसा-पोट्टलु तुहुँ ण सुत्तु सुत्तउ महि-मण्डलु ॥ ७ सीय ण आणिय आणिय जमउरि हरि-वल कुद्ध ण कुद्धा केसरि ॥ ८ 4 PM °र. 5 s तो पाण. 6 P S A °इ... 2. 1 P S A °य. 2 PS °णु. 3 P A °ई, 8 °इ. 4 Ps °वट्टि, A °पट्ट. 5 P चक्कए, '1 असि. 6 P सुटु, A सुट्ठउ°. 3. 1 P वंदिजणु, A वंदिजणु. 2 P°कंदरु. 3 P S A हु. 4 Ps कुछ कुद्ध णं [३] 1 वाचा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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