SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 212
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ २,१०,१३,१-१०,१४,१-८ ॥ घत्ता ॥ गय सत्त दिवह जुज्झन्ताहुँ तो इण छेउ महाहवहाँ । लहु लक्खणु अन्तरें देवि रहु विजउ णाई थिउ राहवहाँ ॥ १० [१३] 5 ॥ दुवई ॥ 'वल मइँ किङ्करेण किं कीरइ जइ तुहुँ धरहि धणुहरं । __णिसियर-कुल-कियन्तु हउँ अच्छनि रावण वाहें रहवरं ॥१ दुम्मुह दुच्च रिय दुराय-राय तह राहव-केरा कुद्ध पाय ॥ २ वलु उरें कउ चुक्कहि महु जियन्तु वहु-कालें पावउ धउ कियन्तु ॥३ तो कोव-जलण-जालोलि-जलिउ.. "हणु हणु' भणन्तु लक्खणहों वलिउ॥४ 10 ते वासुएव-पडिवासुएव कुल-धवल धणुद्धर 'सावलेव ॥५ गय-गारुड-सन्दण कसण-देह उण्णइय णाई णहें पलय-मेह ॥ ६ णं सीह महीहर-मत्थयत्थ णं विझसम्झ उअयाचलत्थ ॥७ णं अञ्जण-महिहर विण्णिहूअ णं णर-णिहेण थिय काल-दूय ॥ ८ णं रवि-रत्तुप्पल-तोडणत्थ णं धरऍ पसारिय उहय हत्थ ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ लकेसर-लक्खण उत्थरिय पलय-जलय-गम्भीर-रव । वेयाल-सहास िणच्चियइँ 'जइ पर होसइ अज धव ॥ १० [१४] ॥ दुवई ॥ जं किउ राहवेण तं तुहु मि करेसहि भूमि-गोयरा'। दह-दाहिण-करेहिँ दह-वयणे दह कड्डिय महा-सरा ॥ १ पहिलेण पवरु णग्गोह-रुक्खु वीएण महग्गिरि दिण्ण-दुक्ख ॥२ जलु तइएं जलणु चउत्थएण पञ्चमण सीहु फणि छट्ठएण ॥ ३ सत्तमेण मत्त-मायङ्ग-लीलु अट्टमेंण णिसायरु विसम-सीलु ॥४ णवमेण महन्तु महन्धयारु दहमेण महोवहि-हत्थियारु ॥ ५ दस दिव्य महा-सर पलय-भाव दस दिसउ णिरुम् वि ठन्ति जाव ॥६ तो लक्खणु वुत्तु विहीसणेण "दिव्वत्थई लइयइँ रावणेण ॥ ७ एकेकु जे होइ अणेय-भाय एकेक्कु जे दरिसइ विविह माय ॥ ८ 3 5 दिवस. 4 PS A णाइ. 13. 1 P °ह, SA "हु. 2 A वराय. 3 P S A णाइ. 4 P S A °संझ. 14. 1 PS सत्त. 2 तमंध. 3 PS भेय. [१३] १ तृप्ति. २ साहंकार. [१४] १ विद्यामयी ( ? या) वाणाः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy