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१४८] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क०६, २-१०;७, १-१० 'वलु वलु मय माम मणोहिराम सुर-समर-सहास-पयास-णाम ॥२ मइँ मुऍवि विहीसणु झडै-झडक्क को सहइ तुहारी णर-चडक' ॥ ३ तं णिसुणेवि मन्दोयरि-जणेरु णिक्कम्पु परिट्ठिउ णाइँ मेरु ॥४
'ओसरु ओसरु मं पुरउ थाहि छल-विरहिउ रणु परिहरवि जाहि ॥ ५ 5 पारक्कएँ थक्कएँ हंस-दीवे गुणु जइ वि शाहि वीसद्ध-गीवें ॥ ६ तहिँ अवसरे किं तउ मुऍवि जुत्तु जइ सम्बउ रयणासवहाँ पुत्तु' ॥ ७ तो एवं भणेवि ववगय-भएण रह कवउ छत्तु छिजइ.मएण ॥८ किउ कलयलु णिसियर-साहणेण “वोल्लिजइ सुर-कामिणि-जणेण ॥ ९
॥ घत्ता ॥ 'मारुइ भामण्डलु पैमयवइ स-विहीसण विच्छाइयइँ । गय-पाएं वुड्डीहूयऍण मऍण जि कह व ण मारियई' ॥ १० [७] .
.. ॥ दुवई ॥ तो खर-णहर पहर-धुव-केसर-केसरि-जुत्त-सन्दणो।
धवल-महद्धओ समुद्धाइँउ दसरह-जे?-णन्दणो ॥१ 15 जस-धवल-धूलि-धूसरिय-अङ्गु धवलम्वरु धवलावर-तुरङ्गः ॥२
धवलाणणु धवल-पलम्व-वाहु धवलामल-कोमल-'कमलणाहु ॥ ३ धवलउ जें सहावें धवल-वंसु 'धवलच्छि -मरालिहें रायहंसु ॥ ४ धवलाहँ धवलु धवलायवत्त रहुणन्दणु दणु पहरन्तु पत्तु ॥५ हेलऍ में विणासिउ मय-मरट्ट रहु खश्चेवि पच्छामुहुँ पयट्टु ॥ ६ 20 तहिँ अवसरें सुर-संतावणेण रहु अन्तरे दिजइ रावणेण ॥ ७ वहुरूविणि-रूव-णिरूवियङ्गु गयदस-सय-संचालिय-रहनु ॥ ८ दस सहस परिट्ठिय गत्त-रक्ख सौरच्छ कराविय अग्गलक्ख ॥ ९
॥ पत्ता ॥ णं अञ्जण-महिहर-तुहिण-गिरि बहु-कालहों एकहिँ 'घडिय । 23 कोवारुणे दारुणें आहयणे रामण-राम वे वि भिडिय ॥ १० .
3 P भडचडक्क, S झुड. 4 P रणसडक. 5 PS A °इ. 6 P विच्छाइय, S विच्छरिय. 7 PS मारिय.
7. 1 P केसरु. 2 A 'चाइड. 3 p °लंकरु. 4 PS हुँ 5 PSA तहि. 6 रूवि. 7 P विणिम्मिअं, 5 विणिम्मियं. 8 P S सो. 9 PS °अंगवक्ख. 10 P S A हि. 11 A 'घि'.
[६] १ सुग्रीवः. [७] १ कमलमिव नाभिर्यस्य. २ पुरुषलक्ष्मीः . ३ P सारथि, ' सारथः (१). ४ '' घृष्टाधृष्टौ भूतः (? तौ).
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