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क० ४, ४-१०, ५, ५-१०,६,१] जुज्झकण्डं-पंचहत्तरिमो संधि [१४७ सिय-चामरु धरिय-सियायवत्तु वाहेंवि रहु कोवाईछ पत्तु ॥ ४ 'रयणीयर-लञ्छण थाहि थाहि वलु वलु उरि रहवरु वाह वाह ।। ५ पइँ मुऍवि महीयले मणुसु कवणु दहसीस-ससुरु सुर-मन्ति-दमणु' ॥ ६ तो एवं भणेवि भामण्डलेण रिउ छाइउ सहुँ रवि-मण्डलेण ॥ ७ सर-जालें जलहर-सण्णिहेपा विण्णाण-जाण-णाणाधिहेण ॥ ८ तो मऍण वि रोस वसंगएण वइदेहि-समाहउ सर-सएण ॥ ९
चित्ता॥ सण्णाहु छत्तु धयवर-तुय्य सारहि रह रणे जजरिउ । भामण्डलु अ-विणयवन्तु जिह पर एक्केल्लउ उव्वरिउ ॥ १०
[५] ॥ दुवई ॥ ताव 'सुतार-तार-तारावइ तारावइ-समप्पहो ।
सुरवर-पवर-करि-करायार-कराहय-हय-महारहो ॥ १ सो जणय-तणय-मय-कय-वमाले सुग्गीउ परिट्ठिउ अन्तरालें ॥२ विञ्झु व जिह दाहिण-उत्तराहँ अभि? परोप्परु समरु ताहँ ॥३ रयणीयर-वाणर-लञ्छणाहँ धवलिय-णिय-कुलहँ अ-लञ्छणाहँ ॥ ४ ॥ विजाहर-पुर-परमेसराहँ एकेकम-छिण्ण-महारहाहँ ॥ ५ । सर-वडण-वियारिय-साहणाहँ जयसिरि-जय-दिण्ण-पसाहणाहँ ॥६ संचरइ कइद्धउ जहिँ जि जहिँ रिवु सरहिँ णिरुंम्भइ तहिँ में तहिँ ॥७ जहिँ जहिँ रहवरें आरुहइ गम्पि "इन्दइ-मायामहु हणइ तं पि ॥ ८ जं जं धणुहरु सुग्गीवु लेइ तं तं रयणीयरु खयहों णेइ ॥ ९ ॥
॥घत्ता॥ किं एकहाँ किक्किन्धाहिवहाँ हियइच्छियउ ण संपडइ । धणुं सव्वहाँ लक्खण-विरहियहाँ लिइउ लइउ हत्थहों पडइ ॥ १०
॥ दुवई ॥ ताव विहीसणेण धूवन्त धयवडालिद्ध-णहयलों।
- सूल-महाउहेण रहु वाहिउ वहुलुच्छलिय-कलयलों ॥१ 4 T notes a variant हयवाइत्तु. 5 P S दहमुहहो. 6 A दिणयर'.
5. 1 Ps.ई. 2 PS विंझ. 3 PS °दृ. 4 PS °हि, A °हे. 5 T notes the variants"णिसुंभइ = मारयति and णिरुत्तर = निराकृत्य. 6 PS °वइ.
6. 1 A 'तु. 2 PS °लं. [४] १ '' कोपाविद्धः; the variant हयवाइत्तु =हततूर्यः. २ भामंडल.
[५] १ ' सुष्ठ तारे शुमे तारे ढोचने यस्याः सा सुतारा। सुतारा तारा च सुतारतारा। तस्याः पतिः सुग्रीवः. २ चंद्रः. ३ संग्राम कोलाहले. ४ मयः नाम्लो (ना).
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