SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 196
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३६ ] सयम्मुकिउ पउमचरिउ [क०५,१६,१-१०७ एवहिँ तुह वयणहिँ विभव-जुअ जिम लक्खण-रामहिँ भग्गऍहिँ ॥ धत्ता॥ विहिँ गइहिँ सनप्पमि जणय-सुअ । जिम महुँ पाणेहि मि विणिग्गऍहिँ ॥८ एम भणेवि पहय रण-भेरि। तूरइँ अप्फालियइँ दिण्ण सञ्ज उब्भिय महद्धय । सज्जिय रह जुत्तं हय सारि-सज किय दन्ति दुजय ॥ मिलिउ सेण्णु किउ कलयलु रण-परिओसेण । णिरवसेसु जगु वहिरिउ तूर-णिघोसेंण ॥ १ ॥ वहुरूविणि-किय-मायाविग्गहु सजिउ तुरिउ गइन्द-महारहु ॥२ तुङ्ग-रहनु णहें जें ण माइउँ वीयउ मन्दरु णं उप्पाइउँ ॥ ३ तहिँ गयवर-सहासु जोत्तेप्पिणु दस सहास पय-रक्ख करेप्पिणु ॥४ जय-जय-सदें चडिउ दसाणणु णं गिरि-सिहरोवरि पश्चाणणु ॥५ दहहिं मुहेहिं भयङ्करु दहमुहूं भुवण-कोसु णं जलिउ दिसा-मुहुँ ॥६ । विविह-वाहु विविहुक्खय-पहरणु णाइँ विउव्वणे थिउ सुर-वारणु ॥७ दस-विह लोय-पाल मणे झाऍवि दइवें मुक्क णा. उप्पाऍवि ॥८ भुवण-भयङ्करु कहाँ वि ण भावइ दण्डु जमेण विसजिउ णावइ ॥९ ॥घत्ता ॥ धय-दण्डु समुब्भिउँ सेय-वडु णिज्जीवउ लङ्काहिव-सुहडे । . 'पुरे(?) सायरें रह-वोहित्थ-कउ परवले-परतीरों णाइँ गउ ॥१० [७] रहु णिरन्तरूँ भरिउ पहरणहुँ । सम्मइ सारथि किउ वहुरूविणि-विजा-विणिम्मिउ । कण्टइएं रावणेण उरें ण मन्तु सण्णाहु परिहिउ ॥ 9 P SA लक्खणु. 10 P A जिंम. 11 A. महुं. 6. 1 s दिण्णइ. 2 P S जोत्त. 3 P S A रहुंगु. 4 P °3. 5A °उ. 6 A. दहह मि.7 PM हुं. 8 P °हुं. 9 P SA णाइ. 10 ' पुरि. 11 P S A रहु. 12 PS परवलु. 13 P °तिरहे, तीरहु, A तीहे. 7. 1 PSA विजा. 2 P कंटइय, s कंटइयइ, 5 कंटयइं. 3 s माइ. [६] १ अंवारी. २ भुवनभंडागारा. ३ ऐरावणः. ४ ओतपटाः, ५ मरजीवा । "णिजावउ' पार निर्यामक. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy