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________________ १३२] सयम्भुकिउ पउमचारैउ [क०१३,८-१,१४,१-९ कु वसुन्धरि तहिँ मारि कुमारी ण णरु तासु अरिते णारी ne ॥धत्ता ॥ .. वट्टइ" सुरवइ जेम वन्धेप्पिणु लक्खणु रामु रण। देमि, विहाणऍ सीय सच्चउ परिसुज्झमि जेमै जणे॥९ [१४] एम भणेप्पिणु गउ णिय-गेहहाँ अन्तेउराँ पवडिय-णेहहों ॥१ रायहंसु णं हंसी-जूहों -णं गयवरु गणियारि-समूहहाँ ॥२ णं 'मयलञ्छणु तारा-चन्दाँ णं धुंवगाउ णलिणि-मयरन्दों ॥३ पणइणीउ पणएं पणवन्तउ माणिणीउ सइँ सम्माणन्तउ ॥४ 10 रसणा-दामएहिँ वज्झन्तउ | लीला-कमलहिँ ताडिजन्तउ ॥५ एव परिहिउ णिसि-सम्भोगें सिङ्गारेण विविह-विणिउग्नें.॥ सीय वि णिय-जीवियहाँ अणिट्ठिय णं दससिरहों "सिरति समुट्ठिय ॥७ ताव णिहाय पडिय महि कम्पिय 'णट्ठ लङ्क' णहें देव पजम्पिय ॥८ ॥ घत्ता॥ 'दहमुह मूढउ काइँ पर-णारि रमन्तहों कवणु सुहु । णच्छहि सुरवइ जेव णिय-रज्जु स ई भु अन्तु तुहुँ ॥९ [७४. चउसत्तरिमो संधि दिवसयरें विउद्धे विउद्धाइँ रण-रसियह अमरिस-कुद्धा स-रहसइँ पवडिय-कलयलइँ” भिडियइँ राहव-रामण-वलइँ॥ 7 PS तहि, A वहे. 8 Pणं. 9 P णिर corrected as णिरइ, S रइ. 10 s अरित्ति, A अरत्तें. 11 A कल्लइ. 12 s जेण. 14. 1 PS °वतिउ. 2 S A °तिउ. 3 उग्गे, A पिउग्गें. 4 PS A इ. 5 Pणेच्छहि, SAणं अच्छइ. 1. 1 A विउठे विउहाई. 2 P रहसियई, इ रहसियइ. ११ कुत्सिता मारिः.. १२ ( P reading) तस्य नार्या स्मरणेन रतिर्भवति । अथः तस्य चानुरके रतिविषये वा न तृप्तिर्भवति. [१४] १ चन्द्रः. २ समूहस्य, ३ भ्रमरः. ४ शिरोतिः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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