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________________ क०१, -९,२,१-३] जुज्झकण्डं-चउसत्तरिमो संघ [१३३ . [१] जाव रावणु जाइ णिय-गेहु । अन्तेउरु पइसरइ करइ रयणि सइँ भोग्गे आयरु । ता ताडिय चउ-पहरि . उअर्य-सिहर उहिउँ दिवायरु ॥ __(मत्ता छन्दु) . केसरि व्व णह-भासुर-कर-पसरन्तउ । पहरें पहरें णिसि-गय-घड ओसारन्तउँ ॥१ तहिँ अवसरे पक्खालिय-णयणु अत्थाणे परिट्ठिउँ दहवयणु ॥२ सामरिस-णिसायर-परियरिउ णं जमु.जमकरणालङ्करिउ ॥ ३ णं केसरि णहरारुण-गहिउ णं गहवइ तारायण-सहिउ ॥४ । णं दिणयह पसरिय-कर-णियरु णं विप्फालिय-जलु मयरहरु ॥ ५ णं सुरवइ सुर-परिवेड्डियउँ - . तोडन्तु करग्गें दाढियउ ॥६ रोसुग्गउ उम्मूलियउ हत्थु णिड्डरिय-णयणु सीहासणत्थु ॥७ 'सुय-भायर-परिभउ सम्भरेवि भउ जीविउ रजु वि परिहरेवि ॥८ ॥घत्ता॥ असहन्तु सुरासुर-उमर-कर जम-धणय-पुरन्दर-वरुण-धरु । सजण-दुजणहँ जणन्तु भउ फुरियाहरु आउह-साल गउ ॥ ९ [२] ताव हुई दुण्णिमित्ताई। उड्डाविउ उत्तरिउ आयवत्तु मोडिउ दु-वाऍण। 20 हाहा-रउ उद्वियउ छिण्ण कुहिणि घण-कसण-णाऍण ॥ णिऍवि ताइँ दु-णिमित्तइँ गय-सिर-पन्तिहिं । 'जाहि माय' मन्दोयरि वुच्चइ मन्तिहिं ॥१ 'मा गासउ सुन्दरु पुरिसरयणु जइ कह वि तुहारउ करइ वयणु ॥२ तो परिअच्छावहि वुद्धि देवि' आलावेंहि तेहिँ पयट्ट देवि ॥३ ॥ 3 P°रि, रे. 4 P SA पहरि. 5 P उभय° corrected as उयअ°, 5 उवय', P उया. 6 PS A उढियं. 7 Wanting in Ps. 8 PS भर्जतउ, A ओसारंभउ. 9 P पइटाउ. 10 A °उं. 11 A णिहरिय. 12 PS फुरिभाहर, A फुरिभाणणु.. 2. 1 8 हूवइ, A हूयई. 2 PS °त्ताई, A तइ. 3 Ps पुरुस'. १] १T सुत-भ्रातृ. [२j १ मार्यः. २ कृष्ण-सर्पण. ३ नु(न)तमस्तकपंक्तिभिः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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