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________________ क०७,६-१०, ८, १-९, ९, १-६] जुज्झकण्डं-तिसत्तरिमो संधि [१२९ विसाल-उद्ध-चिन्धओ पहु व्व पट्ट-वन्धओ ॥६ गिरि व्य तुङ्ग गत्तओं महण्णउ व्व मत्तओ ॥७ घणो ब्व भूरि-णीसणो जमो व्व सुदृ भीसणो ॥८ मणो व्व लोल-वेयओ' रवि व्व उग्ग-तेयओ ॥९ ॥ घत्ता ॥ सव्वाहरणु णरिन्दु तहिँ कसण-महग्गएँ चडिउ किह । उण्णय-मेह-णिसण्णु लक्खिजइ विजु-विलासु जिह ॥ १० [८] जय-जय-सद्दे सत्तु-खयाणणु सीयहें पासु पयट्टु दसाणणु ॥ १ वहुरूविणि-रूव भावन्तउ खण वासरु खण णिसि दावन्तउ ॥२ ।। खणे चन्दिम खणे मेहन्धारउ खणे वाओलि-धूलि-जलधारउ ॥ ३ खणे णिहाय-तडि-वडण-वमालिउँ ___ खणे गय-वग्ध-सिङ्घ-ओरालिउ ॥ ४ खणे पाउसु हेमन्तु उण्हालउँ खणे गयण-यलु सयलुं सम-जालउ ॥५ खणे महि-कम्पु महीहर-हल्लिउ खणे रयणायर-सलिलुच्छल्लिउ ॥ ६ । तं तेहउ णिएवि ससि-मुहियएँ तियड पपुच्छिय जणयहाँ दुहियएँ ॥७॥ 'एउ महन्तु काइँ अच्चरियंउ किं केण वि जगु उवसङ्घरियउ' ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ पभणइ तियडाएवि 'बहुरूविणि-रूवाविद्ध-तणु । आवइ लग्गउ एहुँ तर वयणु णिहालउ दहवयणु' ॥९ . [९] तं णिसुणेवि महासइ कम्पिय वाहु भरन्ति चक्खु दर जम्पिय ॥१ 'माएँ ण जाणहुँ काइँ करेसइ सीलु महारउ किं मइलेसई' ॥२ ताव सुरिन्द-विन्द-कन्दावणु कण्ठाहरण-विविह-के-दावणु ॥ ३ सीयहें पासु पढुक्किउ सरहसु णावइ वैम्महसरहें पुणव्वसु ॥४ णावइ दीह-समासु विहत्तिहें णावइ छन्दु देव-गाइत्तिहें ॥५ वोल्लाविय 'वोल्लहि परमेसरि होमि ण होमि दसाणण-केसरि ॥ ६ 8. 1 PS A °इ. 2 PS चंदिणे. 3 A °उ. 4 P °उं. 5 PS सयल. 6 R S °कंदु. 7 PS A भए. 8 P अच्छदिउं, S अच्छरियउ. 9 A पहु. 9. 1 A चाखं. 2 A मई लेसई. 3 PS °कंपावणु. 4 A °णु. 5 °गायतिहे, A जेव गायतिहे. [९] १ ईषत्. २ दश-मस्तक-दर्शकः. ३ अनंगसरायाः चक्रवत्तिः पुनर्वसुः. "पउ०च०१७ onarwwAAAAAAAAAAAA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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