________________
क० १५,९-११, १, १०-९]
जुज्झकण्डं-तिसत्तरिमो संघि [१२५ कहि मि णव-पाडली-पुप्फ-गन्धेण आयडिया छप्पया। णवर मुह-पाणि पायग-रत्तुष्पलामोय-मोहं गया ॥९ तहि मि चल-चामरुच्छोह-विच्छेव-छिप्पन्त-मुच्छाविया । सुरहि-सुहगान्धवारण मन्दाणुसीएण संजीविया ॥१०
॥घत्ता ॥ एम पइ8 घर जय-जय-सहें इन्द-विमद्दणु । वसुमइ वसिकरेंकि णा िस यं भु व णाहिव-णन्दणु ॥ ११
॥
[७३. तिसत्तरिमो संधि ] तिहुवा-डामर-वीरु • मयरद्धय-सर-सण्णिह-णयणु । मङ्गल-तूर-रवेण मजाणउ पइसंह दहवयणु ॥
[१] पइसेंवि भवणु भिच्च अवयजिय णिय-णिय-णिलयों तुरिय विसज्जिय ॥१ कइवय-सेवहिँ सहिउँ दहम्मुह गउ मज्जण-भवणहाँ सवडम्मुहं ॥२ ओसारियइँ असेसाहरण. 'दुद्दिणे दिणयरेण णं किरण ॥३ लइय पोत्ति 'रिसहेण दया इव 'गुज्झावरणसील माया इव ॥४ । सह-सुत्त वायरण-कहा इव पल्लव-गहिय महा-वणराइ व ॥५ वर-वारङ्गणेहिँ सव्वनिउ विविहाभङ्गणेहिँ अब्भङ्गिउ ॥ ६ . गउ आयाम-भूमि रहसाहिउ तणु-संवाहणेहिँ संवाहिउ ॥७ ताव विमदिउ जाव पहग्गउ सव्वृङ्गिाउ पासेउ वलग्गउ ॥८
॥ घत्ता ॥ छुडु उग्गयइँ सरीरें • पासेय-पुडिङ्गइँ णिम्मलइँ ।
णं तुट्टेण संमेण कड्डेवि दिण्णइँ मुत्ताहलइँ ॥९ 17 P S A °चमरु. 18 P A °सुह', wanting in s. 19 P S A णाइ . 1. 1 P.s मजण. 2 A पइ. 3 PS भिच्चु. 4 A तुरय. 5 P S सहियउ दहमुहु. 6 PS 'हं. 7 P उआरियइं, marginally corrected as उत्ता', S उवारियइ, A उसारियई. 8 Ps गहिर.
21१ अवलोकिताः. २ मेघावृते दिने. ३ ' यथा रिषभेण दया गृहीता, ४ ' गुह्यं हृदयस्थकार्य जघनं च, आवरणं तस्याच्छादनशीलाम्. ५ माता. ६ प्रभातो भवितः. ७ समुद्रण,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org