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१२४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ 'एकेलउ जेहउ केण सहिउ कि जेहिं णियम्वणि एउ कम्मु जइ मणूस होन्ति तो काइँ एत्थु
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जेर्ण मरट्टिऍण कल्लऍ तासु ध
एम भणेपिणु
जय-जय-स
चलिउ सणउ णं रयणायरु
दणु-विवणु ।
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स- रहसु रावणु ॥ १ उट्टिय-कलयलु । परिवडिय जलु ॥ २
15
णवर पहुणो चलन्तस्स दिण्णा महाणन्द-भेरी मउन्दा दडी दहुरा । पडह टिविला ' ढढरी झल्लरी भम्भ भम्मीस कंसाल - कोलाहला ॥ ३ मुरव तिरिडिकिंया काहला ढड्डियां सङ्घ धुम्मुक्क ढक्का हुडुक्का वरा । तुणव पणवेक्कपाणिर्त्ति एवं च सिझेवि (?) सेसा उणा (१णो) केण ते वुझिया कहि मि चलियं चलन्तेण अन्तेउरं थोर- मुक्तावली - हार केऊर-कञ्ची-कलावेहिं गुप्त । वहल- सिरिखण्ड- कप्पूर- कत्थूरिया कुङ्कुमुप्पील- कालागरुम्मिरंस-चिक्खिलपन्थेसु खुप्पन्तयं ॥ ५ 20 धवल धय- तोरण-च्छत्त-चिन्ध-प्पडायावली - मण्डवब्भन्तरालिन्द - णीलन्धयारे विसूरन्तयं । मुहल-चल-उरुग्घाय - झङ्कार-वाहित मज्झाणुलग्गन्त-हंसेहिँ चुक्कन्त-हेलागईणिग्गमं ॥ ६
फलह - मणिकुट्टिमे भूमि-भाए वियहिँ " छाया-छलेणं (१) चुम्विजमाणाणणं 25 णवर पिसुणो जणो तं च मा पेच्छहीमीऍ" सङ्काऍ पायम्वुएहिं व छायन्तयं गलिय-मणि- मेहला -दाम-सडायमण्णोष्ण-लैंजाहिमाणेण मुच्चन्तयं । कसण-मणि खोणि- छायाहिँ रञ्जिजमाणं "व दट्ठूण वेवन्तयं । ८
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[ क० १४, ८-११; १५, १-८
to वि बहुरुविण विज-सहिउ ॥ ८ लइ वहइ तो एत्तडउ जम्मु ॥ ९ ढुक्कन्ति परिडिउ नियमें जेथु ॥ १०
॥ घत्ता ॥
सीसें तुहाएँ - लाइ हत्था । पेक्खु काइँ दक्खवमि अवस्था' ॥ ११
[१५]
4.
3PSA जेहि 4 A ते. 5 P A हत्थ. 6 P A अवस्थ.
15. 1Ps उट्टिउ. 2Ps पट्टढड्डूरी 3Ps तिडिक्किया 4PSA ढड्डिया 5s त, A omits. 6 Ps सिजेवि 7 PSA 'मप्पील'; Svayambhūchchandas 'मुप्पील' 8 P SA 'मिस्स'; Svay. ch रुम्मीस 9PS अंकार, A झंकारर: 10 Ps वाहितयं. 11 Ps A °हि°. 12 The text here is metrically defective by one mora. 13 A वरि. 14 Ps ए संका पायग्गहि वं च्छायातयं. 15 Ps 'भजा° 16 Wanting in Ps
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