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________________ क० १३, १-११, १४११-७] जुझकण्डं-दुसत्तरिमो संधि [१२३ [१३] तं णिसुणेप्पिणु सुर-सन्तावणु। पुण्ण-मणोरहु उहिउ रावणु ॥१ जा सन्तिहरहों. देइ ति-भामरि। मुक्क कुमार सा मन्दोवरि ॥२ अङ्गङ्गय णट्ठ पइट्ट सेण्णे सम्पत्त वत्त 'काकुत्थ-कण्णें ॥३ 'परमेसर सुर-सन्तावणासु परिपुण्ण मणोरह रामणासु ॥४ उप्पण्ण विज णिवू दु धीरे एवहिँ णिचिन्तु तियसहु मि चीरु ॥५ णउ जाणहुँ होसइ एउ केव लइ सीयहें छण्डहि तत्ति देव' ॥६ तं वयणु सुणेवि कुमारु कुइउ खय-काले दिवायरु णाइँ उइउ ॥ ७ ॥ 'णासहीं णासहाँ जइ णाहि सत्ति हउँ लक्खणु एक करेमि तत्ति ॥८ कहों तणिय विज कहो तणिय सत्ति कल्लएँ पेक्खेसहों तहाँ असन्ति ॥९ म. दसरह-णन्दणे किय-पइजें वित्थहें अत्याहें अलङ्घणिजे ॥१० ॥घत्ता ।। तोणा-जुयल-जलें धणु-वेला-कल्लोल-रउद्दे। वुड्डेवउ खलेंण - महु केरऍ णाराय-संमुद्दे ॥११ [१४] ताव णिसायर- णाहु स-विजउ । णं स-कलत्तउ सुरवइ विजउ ॥१ पेक्खइ दुम्मणु तोडिय-हारउ । णिय-अन्तेउरु णहु व अ-तारउ ॥२ तहों मझें महा-सिरि-माणणेण मन्दोयरि दिट्ठ दसाणणेण ॥३ छुडु छुडु आमेल्लिय अङ्गएण णं कमलिणि मत्त-महागएण ॥४ णं कुतवसि-वाणि जिणागमेण .णं णाइणि गरुड-विहङ्गमेण ॥५ णं पवर-महाडइ हुअवहेण ॥६ णं ससहर-पडिम महग्गहेण मम्भीसिय विजा-सङ्गहेण ॥७ __13. 1 PS A णिवूढ. 2 PS °वीरु. 3 P णिचित्तु. 4 P S A तियसहुं. 5 s वीरु. 6 PS ठंडह सीयहे. हि ). 7A संति. 8 P SA मइ. 9 P S A किए. 10 A वित्थहि. ll P corrects marginally as अब्वाहे, s अचाहे, A अत्थाहि. 12 P जुअलु, A °मयलु. 13 PS रउद्दे. 14.P S °समुद्दे 14.1 P A alles. 2 P $ A fotero. 25 [२३] १ रामचंद्रबले कर्णेन वा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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