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क० ६, ७-११, ७, १४१४]
जुज्झकण्डं-दुसत्तरिमो संधि [११९ अहिसेय-कलस-कण्ठ-गहेण . अवरुण्डणु थम्भालिङ्गणेण ॥७ पिय-फाडणु छेवाकड्गुण "कुरुमालणु वीणा-वायणेण ॥८ 'कर-घायणु झिन्दुर्व-घायणेण सिकारु कुसुम-आखचणेण ॥ ९
'कम-घाय असोय-प्पहरणेण ॥ १०
॥ पत्ता ॥ कुङ्कुम-चन्दणइँ सेअ-फुडिङ्ग वि गरुआ भारा। किं पुणु कुण्डलई कडय-मउड-कडिसुत्ता हीरा ॥ ११
[७]. काउ वि देविउ काह वि णारिहिं। दिन्ति सु-पेसणु पेसणयांरिहि ॥१ 'हले ललियङ्गिए लइ णारङ्गई।
जाइँ जिणिन्दहो अच्चण-जोग्गई ॥२ हले दालिमीऍ दालिमइँ देहि विजउरिऍ विजउराइँ लेहि ॥ ३ वहुफलिएँ सुअन्धइँ वहुफलाइँ रत्तुप्पलीऍ रत्तुपलाई ॥४ इन्दीवरीऍ इन्दीवराइँ सयवत्तिएँ सयवत्तइँ वराइँ ॥ ५ ॥ कुसुमिएँ कुसुमेहिँ अच्चण करेहि.. मणिदीविएँ मणि-दीवउ धरेहि ॥ ६ कप्पूरिऍ डहें कप्पूर-दालि विद्दुमिएँ चडावहि विहुमालि ॥ ७ मुत्तावलि लहु मुत्तावलीउ संचूरेवि छह रनावलीउ ॥८ मरगऍ मरगय-वेइहें चडेवि सम्मजणु करें कमलाइँ लेवि ॥ ९ हले लवलिऍ चन्दण-छडउ देहि गन्धावलि गन्धु लएवि एहि ॥१० कुङ्कुमलेहिए लइ घुसिण-सिप्पि आलावणि आलावेहि किं पि ॥ ११ । किण्णरिऍ तुरिउ किण्णरउ लेहि तिलयावलि तिलय-पया देहि ॥ १२ आयऍ लीलऍ अच्छन्ति जाव आसपणी कुमार ता ॥ १३
॥ घत्ता ॥ रावण-जुर्वइ-यणु अङ्गङ्गाय णिएवि आसङ्किउँ ।
णं करि-करिणि-थड सीहालोयणे माण-कलङ्किउँ ।। १४ । 7 P झिंदुय, A रंदुव. 8 P SA असोयंप०. 9 P omits, S सई. 10 P S गरुअ. 11 A भारई. 12 Pहरा, A हारई. ___7. 1 P S A °हे. 2 PS रत्तुप्पलाए. 3 P S स्यवत्तिय, A missing. 4 P S 'विहि. 5 PS A °जुवई. 6 P S 'यउ. 7 PS °थट्ट. ३ ' छेदं वस्त्रविषये न तु अन्यत्र.• ४ 'T कंडुवणं वीणाविषये. ५ ' करघातं गिदुकेन. T पादप्रहार अशोकवृक्षस्य न तु अन्यत्र. ७ ' या(?)किल कुङ्कुमचदनादिविलेपनभारं न सहते तस्य कुण्डलकटकादिना
किं प्रयोजनम्.
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