________________
११६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[२,०२,१-११,३,१-५
[२]
दिगु स-मोत्तिउ रावण-पङ्गणु णाई स-तारउ सरय-णहङ्गणु ॥ १ वहु-मणि-कुट्टिमु वहु-रयणुजलु।
णाई विसदृउ रयणायर-जलु॥२ चिन्ताविय 'केत्तहें पयइँ देहुँ मण-खोहु दसाराहाँ किह करेहुँ' ॥ ३ किर चन्दण-छड-मग्गेण जन्ति कद्दम-भइयऍ ण पईसरन्ति ॥४ किर फलिह-पहेण समुच्चलन्ति आयासासङ्कऍ पुणु वलन्ति ॥ ५
मरगय-विहुम-मेइणि णिएवि . पउ देन्ति ण 'किरणावलि' भणेवि ॥६ 10 पेक्खेंवि आलेक्खिम-सप्प-सयइँ 'खजेसहुँ' भणेवि ण दिन्ति पयइँ ॥७
पहें लग्ग णीलमणि-सार-भूएँ चिन्तविउ ‘पडेसहुँ अन्धकूऍ' ॥ ८ पुणु गय ससिकन्त-मणि-प्पहेण ओसरिय "विलेसहुँ किं दहेण ॥९ गय सूरकन्ति-कुट्टिम-पहेण सङ्किय 'डज्झेसहुँ हुअवहेण' ॥ १०
॥घत्ता ॥ दुक्ख-पइट्ठ तहिँ ससिकर-हणुवंङ्गङ्गाय-तारा । णाइँ विरुद्ध-मण जम-सणि-राहु-केउ-अङ्गारा ॥ ११
हसइ व रिउ-घर मुंह-वय-'वन्धुरु । विदुमयाहरु मोत्तिय-दन्तुरु ॥ १ छिवइ व मत्थए मेरु-महीहरु ।
'तुज्झु वि मज्झु वि कवणु पईहरु ॥२ जं चन्दकन्त-सलिलाहिसित्तु अहिसेय-पणालु व फुसिय-चित्तु ॥ ३ जं विदुम-मरगय-कन्तियाहिँ थिउ गयणु व सुरधणु-पन्तियाहिँ ।।.४ जं इन्दणील-माला-मसीएँ आलिहइ व दिस-भित्तीऍ तीऍ ॥५
wwwwwwwwwwwwwwwww
2. 1 S A णाइ. 2 A समारउ. 3 A विसद्धउ. 4 S A °हु. 5 s कीरा'. 6s पेक्खिवि, A पेक्खवि. 7 8 A पहि. 8 A दुक्खे. 9S A °हणुवें. 10 s णाय, A णाइ.
3. 18 उवहसइ संझाराउ. 2 s सुहवंधुरु, A °वधुरु. 3 s मत्थउ.
[२] १ ' द्रविख्या (ध्या )मि विलयामीत्यर्थः (१). २ T चंद्रकिरणनामा वालिपुत्रः. [३] १ | मनोज्ञः,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org