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१०२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० १०,५-१०,११,१-१०,१२, किं खजोऍहिं किउ रवि णिप्पहु किं वण-तिणहिँ धरिजइ हुयवहु ॥५ किं सरि-सोत्तहिं फुट्टइ सायरु किं करेहिँ छाइज्जइ ससहरु ॥६ किं चालिजइ विझु पुलिन्देहिँ हासउ तहाँ तुम्हेंहिँ कु-णरिन्देहिँ' ॥७ तं णिसुणेवि भडेंहिँ गलथलिउ टक्कर-पण्हिय-धाऍहिँ घलिउ ॥८ • गउ स-पराहवु लङ्क पराइउ कहिउ 'देव हॐ कह वि ण घाइउ ॥९
॥ पत्ता॥ दुजय लक्खण-राम ण करन्ति सन्धि णउ वुत्तउ । जं जाणहि तं चिन्तें आयउ खय-कालु णिरुत्तउ ॥ १०
' [११] ॥॥ दुवई ॥ सम्वु-कुमारु जेहिँ विणिवाइउ घाइउ खरु वि दूसणो।
जेहिं महण्णवो समुल्लविउ णक-माह-भीसणो ॥ १.. हत्थ-पहत्य जेहिं संघाइय इन्दइ-कुम्भयण्ण विणिवाइय ॥२ आणिय जेहिँ विसल्ला-सुन्दरि मुउ जीवाविउ लक्खण-केसरि ॥ ३ तेहिँ समाणु णउ सोहइ विग्गहु लहु वइदेहि देहि 'मुऍ सङ्गहुँ' ॥ ४ ॥ तं णिसुणेवि णरवइ चिन्ताविउ महणावत्थ समुह व पाविउ ॥ ५ 'होसइ केम कजु णउ जाणमि किं उक्खन्धे वन्धेवि आणमि ॥ ६ किं पाडमि समसुत्ती पर-वलें किं सर-धोरणि लायमि हरि-वलें ॥७ जइ वि स-साहणु स-मुहु समप्पमि तो वि ण रामहों गेहिणि अप्पमि ॥ ८ अत्थु उवाउ एकु जे साहमि वहुरूविणिय विज आराहमि ॥ ९
॥ धत्ता ॥ पट्टणे घोसण देमि जीव अट्ट दिवस मम्भीसमि । अच्छमि झाणारूदु - वट्टइ सन्तिहरु पईसमि' ॥१०
[१२] ॥ दुवई ॥ एम भणेवि तेण छुडु' जे च्छुडु माहहों तणऍ णिग्गमे । - घोसिय पुरे अमारि अहिणव-फग्गुण-णन्दीसरागमे ॥१ 4 A हासउं. 5 SA भडेहि. 6 SA घाएहि. 7 A वुत्तउं.
11. 1 देवि. 2 S अट्ट दिवस जीव, A जीभ भट्ठ दिवस. 3 s मंभीसिवि. 4 A वद्धइ. 5s संतिहरे पइसरमि. — 12. 1 A च्छुड माहहो. [१] १ ' हस्तैः. [१] १ T reads मुए संमुहु=अमिमुखं त्यज. २ T जीवान. ३ ' प्रस्तावं वर्तते.
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