________________
क.५, १-१०, ६, १-१.]
जुज्झकण्डं-सत्तरिमो संधि [९९
[५] ॥ दुवई ॥ तं णिसुणेवि वयणु दहवयणहों णरवइ के वि जम्पिया।
'एक्कए महिलाएँ किं को वि ण इच्छइ महि समप्पिया' ॥१ के वि चवन्ति मन्ति परमत्थें 'सप्परिहवेंण काइँ किर अत्थें ॥ २ छलु में एकु पाइक्कहो मण्डणु पुत्तु कलत्तु मित्तु ओमण्डणु' ॥ ३ पभणइ मन्दोवरि 'को जाणइ जइ महि लेइ समप्पइ जाणइ ॥४ ता सामन्तउ दूउ.विसज्जहि सयलु वि देइ सन्धि पडिवजहि ॥ ५ जइ रामणु में मरइ सहुँ सर्यणेहिँ तो किर काइँ तेहिँ णिहि-रयणहिँ ६ एम भणेवि पेसिउ सामन्तउ जो सो परिमियत्थ-गुणवन्तउ ॥ ७ चडिउ महारहे हय कस-ताडिय महि खुप्पन्तेंहिँ चक्केहि फाडिय ॥ ८ ॥ णिय-णिसियर-वलेण परियरियउ वीयउ रावणु णं णीसरियउ ॥ ९
पत्ता॥ दूआगमणु णिएवि थिउ कइ-वलु उक्खय-पहरणु । किरण पडीवउ आउ सरहसु सपणहेवि दसाणणु ॥ १०
[६] ॥ दुवई ॥ जम्पइ जम्बवन्तु ' रावणु रावण-दूउ दीसए'।
____ए आलाव जाव ताणन्तर सो में तहिं पईसए ॥१ तहिं पइसन्तें दहमुह-दृएं दिशु सेण्णु आसण्णीहूएं ॥ २ किङ्कर-कर-अप्फालिय तूरउ गोसायासु व उत्थिय-सूरउ ॥ ३ महरिसि-विन्दु व धम्म-परायणु पड्डय-वणु व 'सिलीमुह-भायणु ॥ ४ ॥ कामिणि-वयणु व फालिय-णेत्तर महकइ-कव्वु व लक्खण-चन्तउ ॥ ५ मीण-उलु व देहवयणासङ्किाउ णव-कन्दुटु व णील-णलकिउ ॥ ६ . णन्दण-वणु व कुन्द-वद्धारउ णिसि-णहयर्ख व स-इन्दु स-तारउ ॥७ पुणु अस्थाणु दिट्ठ उव्वयणउ सायर-महणु व पयडिय-रयणउ ॥ ८ खय-रवि-विम्वु व वड्डिय-तेयउ सइ-चित्तु व पर-णर-दुब्भेयउ ॥ ९ १
॥घत्ता ॥ लक्खिय लक्खण-राम सव्वाहरणालङ्करियाँ ।।
सग्गहों इन्द-पडिन्द वे वि णाइँ तहिँ अवयरिया ॥ १० 5. 1 एक्कएक. 2 महिलियए. 3 Wanting in s, A मित्तुं. 4 A मंडणु. 5 s सयणहि, A सयणहिं. 6 S A तेहि. 7 A किंतु. 8 s आयउ. 9 5 सण्णहिवि, A सणहिवि. ____6. 1 s A दीसइ. 2 A °वत्तउ. 3 A उव्वयणउं. 4 A रयणउं. 5 S A °रिय.
[६] १T प्रमाताकाशम्. २ T वीर आदित्यश्च. ३ ' धम्मो धनुर्धर्म एव च. ४ T भ्रमरा बाणाध. ५१ रावणो द्रहमुखं च. ६ ' ऊर्ध्वमुखम्. ७ T दन्ता रमानि च.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org