SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०२१, १५,२२,१-९,१,५-३ ॥घत्ता ॥ जाणेप्पिणु सव्वेंहिँ राणऍहिँ स्वासत्तउ महुमहणु । विण्णत्तु कियञ्जलि-हत्थऍहिँ 'करें कुमार पाणि-ग्गहणु' ॥१५ [२२] । ता जेम्ववन्ते पभणिउ कुमार 'फग्गुण-पञ्चमि तहिँ सुक्क-वारु ॥१ उत्तर-आसाढउ सिद्धि-जोग्गु अण्णु वि वदृइ थिरु कुम्भ-लग्गु ॥२ एयारसमउ गह-चकु अर्जु स-मणोहरु सयलु विवाह-कजु ॥३ आरोग्गिउँ सम्पय रिद्धि विद्धि अइरेण होइ सङ्गाम-सिद्धि ॥४ आयऍ अवसरें परिणेवि देव रिज्झह सुरवर-मिहणाइँ जेव' ॥५ ॥ तं सुणेवि सुमित्तिहें णन्दणेण किउ पाणि-गहणु जणदणेण ॥ ६ दहि-अक्खय-कलसहिं दप्पणे हिँ हवि-मण्डव-वेइय-मक्खणेहिँ ॥ ७ रगावलि-हरियन्दण-छडेहिँ कत्थइ स-विप्प-वन्दिण-णडेहिँ ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ उच्छाहेंहिँ धवलेंहिँ मङ्गलॅहिँ सङ्केहिँ तुहिँ अइहवेहिँ । स ई भू सेंवि साहुक्कारियंउ णरवइ-सएहि(?) किय-उच्छवेंहिँ ॥ ९ [७०. सत्तरिमो संधि] उज्जीवियऍ कुमार किऍ पाणि-ग्गहणे भयावणु । तूरहँ सङ सुणेवि सूलेण व भिण्णु दसाणणु ॥ [१] ७॥ दुवई ॥ चन्द-विहङ्गमे समुड्डावियए (गर्य-) अन्धार-महुयरे।। तारा-कुसुम-णियरें परियलिऍ मोडिए रयणि-तरुवरे ॥१ परिभमन्ते पञ्चूस-महग्गएँ तरुण-दिवायर-मेट्ट-वलग्गएँ ॥२ ताव परजिय-सुर-सङ्घायहों केण वि कहिउ दसाणण-रायहाँ ॥३ 5 SA सव्वेहि. 22. 1 5 जंवव चवंति, A ता जंववंति. 2 5 एयारहमउ, एयारसमइ. 3 5 अजु, अणु. 4 5 मारेप्पिउ. 5 'तक्खणेहि. 6 5 साहुक्कारिओ, A साहुक्कारिउ. 7 Metre requires सय for "सएहि. 1. 1 SA किय. 2 S A तूरह. 3 8 गय?, A गये. Metrically redundant. 4 s अंधार ए. 5 s परियल्लिए, परिअलिए. 6 The portion from here up to the end of the next line is wanting in s. 7 A परिभमंति. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy