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क० १२, १-९:१३, १-९, १४,१] जुज्झकण्डं-एकुणसत्तरीमो संधि [९१
[१२] लब्भइ रयणायरे रयण-खाणि लब्भइ कोइल-कुले महुर-वाणि ॥१ लब्भइ चन्दणु गिरि-मलय-सिङ्गे लब्भइ सुहवत्तणु जुवइ-अङ्गे ॥२ लब्भइ धणु धणएं धरा-पवण्णु लब्भइ कञ्चण-पावएँ -सुवण्णु ॥३ लब्भइ पेसणे सामिय-पसाउ लब्भइ किऍ विणऍ जणाणुराउ ॥४ । लब्भइ सज्जणे गुण-दाण-कित्ति। सिय असिवरें गुरु-कुलें परम तित्तिं ॥५ लन्भइ वसियरणे कलत्त-रयणु महकव्व सुहासिउ सुकइ-वयणु ॥६ लब्भइ उवयार-मईऍ सु-मित्त । मंद।हिँ विलासिणि-चारु-चित्तु ॥७ लब्भइ पर-तीरें महग्घु भण्डु वर-वेल-मूले वेडुज-खण्डु ॥ ८
॥ पत्ता॥ गएँ मोत्तिउँ सिङ्घल-दीवें मणि वइरागरहों वजु पउरु । आयइँ सव्वइँ लब्भन्ति जऍ णवर ण लब्भइ भाइ-वरु' ॥९
[१३] रोवन्तें दसरह-णन्दणेण धाहाविउ सन्चें परियणेण ॥१ दुक्खाउरु रोवइ सयलु लोर्ड णं चप्पेवि चप्पॅवि भरिउ सोउ ॥२ 15 रोवइ भिच्चयणु समुद्द-हत्थु णं कमल-सण्डु हिम-पवण-घत्थु ॥३ रोवइ अन्तेउरु सोय-पुण्णु णं छिज्जमाणु सङ्घ-उलु वुण्णु ॥४ रोवइ अवराइव राम-जणणि केकय दाइय-तरु-मूल-खणणि ॥५ रोवइ सुप्पह विच्छाय जाय रोवइ सुमित्त सोमित्ति-माय ॥६ 'हा पुत्त पुत्त केत्तहि गओऽसि किह सत्तिऍ वच्छ-त्थलें हओऽसि ॥७ ॥ हा पुत्त मरन्तु ण जोइओऽसि दइवेण केण विच्छोइओऽसि ॥८ .
॥ पत्ता॥ रोवन्तिऍ लक्खण-मायरिऍ सयलु लोउ रोवावियउ। कारुण्णएँ कव्व-कहाऍ जिह को अंसु मुआवियउ ॥९
[१४] परिहरेंवि सोउ भरहेसरेण ___ करवालु लइउ दाहिण-करेण ॥१
12. 1 s सिरि. 2 A कित्ति. 3 s मइहि. 4 s महवेहि, A मद्दवाह. 5 s 'तीरि, A °ती. 6 8 °वेणु'. 7 s वेलुज', A वेड... 8 - मोत्तिउं. 9 A वइरागरहि.
13. 1 s रोवंतहे, A रोवंतहें. 2 8 A चप्पिवि. 3 A वि. Before the figure 13 ending the last Kadavaka's adds marginally the following passage:
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