________________
1
८४ ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
जहिँ दन्ति-दन्त-मुसलाहयइँ जहिं विस्रम-तडइँ महियले गयइँ सुव्वन्ति जेत्थु कइ-बुक्कियइँ वणवसह - जूह-मुह-टेक्कियइँ
20
हिँ तेहऍ वर्णे कामसर वङ्क-वलय- विभम-गुणेंहिँ
तहिँ जलवाहिणि-तडें वइसरे वि
፡
हा ताय ताय मइँ सेन्धवहि
हा भाइ भाइ मम्भीस करें हा विहा का कियन्त कि हा काइँ कियइँ मइँ दुकियइँ एहिँ आइज त मरणु 15 जें भव-संसार हों उत्तरमि सा एम भर्णेवि सण्णासें थिय
वरसहुँ सहि सहास थिय व-मयलञ्छण-लेह जिह
छुड छुडु तर्हि पवर-भुअङ्गर्मेण वोल्लिज्जेइ तो विज्जाहरेंण
परमेसरि पभणइ सव्व-सह
अक्खेजहि तायों एह विहि
21. तव चरणु णिरोसह उज्जविर्ड
と
[ ० ११५ - ९, १२, १–९, १३, १-५
Jain Education International
दीसन्ति भग्ग पायज-सयइँ ॥ ५ वणमहिस- सिङ्ग जुबलुक्खयइँ ॥ ६ एकल-कोल - आरुक्कियइँ ॥ ७ वायस - रडियइँ सिव-फेक्कियइँ ॥ ८
॥ घत्ता ॥
जल वाहिणि विउल विहावइ । सरि पोढ - विलासिणि णावई ॥ ९
[१२]
धाहाविउ कुलहरु सम्भरेंवि ॥ १ हा माऍ माऍ सिरें करु थवहि ॥ २
गय वग्घ सिङ्घ ढुक्कन्त धरें ॥ ३ एउ वसणु काहूँ महु दक्खविउ ॥ ४ जं णिहि दावेंवि णयणहँ हियइँ ॥ ५ तो वरि मुइय जिणवरु सरणु ॥ ६ अजरामर - पुरवरु पइसरमि " ॥ ७ हत्थ - यह उवरि णिवित्ति किय ॥ ८
॥ घत्ता ॥
तव चरणें परिट्ठिय जावेंहिँ । ताहिं ॥ ९
'सउदासें दी
[१३]
देहदु गिलिउ उर-जङ्गर्मेण ॥ १
" किं हम्मर अजगरु असिवरेंण ॥ २
" किं तवसिहिँ 'जुत्ती पाण-वह ॥ ३
तु दुहियऍ रक्खिय सील - णिहि ॥ ४ 'अजयर हों सरीरु समल्लविउ " ॥ ५
11. 1P
12. 1P अव्वहि. 2 P एतडउ, s wanting 3 P सई, s सह.
13. 1 Ps वोलिजइ, A वोल्लिजाइ 2 PSA B ° सहा. 3s तवसहु. 4s अक्खेजहिं, 4
क्विजहिं. 5 Ps एम. 6P A तुहु. 7PS ° मिउ.
Sाइ. 2s °याइ, B लक्खयइं. 3P Aढेकियइं, s ढेकियाइ. 48 वयण.
२ क्षयं गतानि.
[१२] १ नदी. २ आवासय, संबोधय ३ विद्याधरेण. [१३] १ सोहइ २ T अजगरा स्वशरीरं समर्पितं.
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org