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०५,३-१०; ६, १-१०;७, १-२] जुज्झकण्ड-अट्ठसट्ठिमो संधि [८१ सु-परिट्ठिय-थिर-सीहासणहों - आवन्धुर-चामर-वासणहों ॥ ३ धूवन्त-धवल-छत्त-त्तयों. . किय-चउविह-कम्म-कुल-क्खयहों ॥४ भामण्डल-मण्डिय-पच्छलहों। पहरण-रहियों 'जय-वच्छलहों ॥ ५ तइलोक-लच्छि-लच्छिय-उरहों परिपालिय-अजरामर-पुरहों ॥ ६ मोहन्धासुर-विणिभिन्दणों - उप्पत्ति-वेल्लि-परिछिन्दणहों ॥ ७ संसार-महदुम-पाडणंहो. . कन्दप्प-मडप्फर-साडणहाँ ॥ ८ इन्दिय उद्दहण-णिवन्धणहों णिद्दड्-दुकिय-कम्मेन्धणहों ॥ ९
॥त्ता ॥ तहों सुरवर-परमेसरहों किय वन्दण भरह-णरिन्दें। गिरि-कइलास समोसरणे णं पढम-जिणिन्दहों इन्हें ॥ १० ॥
[६] जिणु वन्देवि घन्दिउ परम-रिसि जें दरिसिय-दसविह-धम्म-दिसि ॥१ जो दूसह परिसह-भर-सहणु जो पञ्च-महव्वय-णिव्वहणु ॥ २ जो तव-गुण-सञ्जम-णियम-धरु तिहिं गुत्तिहिँ गुत्तउ खंन्ति-यरु ॥ ३ जो तिहि सल्लेहिँ ण सल्लियउ जो सयल-कसायहिँ मेल्लियउ॥४ ॥ जो संसारोवहि-णिम्महणु . जो रुक्ख-मूले पाउस-सहणु ॥५ जो किडिकिडिजन्त-पुडिय-णयणु जो सिसिर-काले वाहिरे-सयणु ॥ ६ जो उण्हालएँ अत्तावणिउँ जो चन्दायणिउ अतोरणिउ ॥७ जो वसइ मसाणेहिँ भोसहिँ ... वीरासण-उकुंडुआसणेहिँ ॥ ८ जो मेरु-गिरि व धीरत्तणेण जो जलहि व गम्भीरत्तणेण ॥९ ॥
॥ पत्ता ॥ सो मुणिवरु चउ-णाण-धरु पणवेप्पिणु भरहें वुच्चइ । "काइँ विसल्लएँ तउ कियउ जे माणुसु वाहिए मुच्चइ" ॥१०
[७] तं वयणु सुणेप्पिणु भणइ रिसि णिय खयों जेण अण्णाण-णिसि ॥ १ ॥ "सुणु पुव्व-'विदेहे रिद्धि-पउरु णामेण पुण्डरिङ्किणि-णयरु ॥२ 3 P marginally notes a variant आपंडुर. 4A जिय. 5A वेत्ति. 6 Ps मडप्फरु, A B °मडप्फ. 7 P 8 °उडुदहण. 6. 1 S A वंदिय. 2 P S खत्ति. 3 A °णिउं. 4 PS °सणु, A B°सणे. 5 A °उच्छुडु'.
71PS सुणेविणु. 2 P विदेहें, 8 विदेहि, A °विवेहि. 3 P पुंडरिगिरि , s पुंडरिंगिरि . २ मनोज्ञाः. ३ विशेषण आसनं क्षेपनं.: जगतः. ५ (P.' s reading ) उडु = मनः, T रुद्दहणो मर्कटः.
[७] १ नीता.
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