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क०८, १-०; ९, १-९]
जुज्झकण्डं-सत्तसट्ठिमो संधि ७५
[८] तहिँ अवसर सुर-मिग-सन्तावणु णिय-सामन्त गवेसइ रावणु ॥१ को मुउ को जीवइ को पडियउ को सङ्गामें कासु अन्भिडियउ॥ २ को मायङ्ग-दन्त-विणिभिण्णउ को करवाल-पहर-परिछिण्णउ ॥ ३ को णाराय-घाय-जजरियर को कण्णिय-खुरुप्प-कप्परियउ ॥ ४ केण वि वुत्तु 'भडारा रावण पवण-कुवेर-वरुण-जूरावण ॥ ५ अज वि कुम्भयण्णु णउ आवइ तोयदवाहणु सो वि चिरावइ ॥ ६ वत्त ण सुव्वइ इन्दइ-रायहाँ सीहणियम्वहाँ णउ महकायों ॥ ७ जम्बुमालि जमघण्टु ण दीसइ एक्कु वि णाहिँ सेण्णे 'किं 'सीसइ ॥८
॥घत्ता ॥ लइ जेहिँ जेहिँ वग्गन्तउ ते ते विणिवाईय समरें। थिउ एवहिँ सूडिय-वक्खंउ जं जाणहि तं देव करें ॥९
[९] तं णिसुणेवि दसाणणु हल्लिउणं वच्छ-स्थलें सूलें सल्लिउँ ॥ १ थिउ हेट्ठामुहु रावण-राणंउ हिम-हउ सयवत्तु व विदाणंउ ॥ २ रुवइ स-दुक्खउ गग्गर-वयणंउ ___वाह-भरन्त-णिरन्तर-णयणंउ ॥ ३ 'हा हा कुम्भयण्ण एक्कोअर हा हा मय मारिच्च महोयर ॥४ हा इन्दइ हा तोयदवाहण हा जमहण्ट अणिट्ठिय-साहण ॥ ५ हा केसरिणियम्व दणु-दारण जम्वुमालि हा सुअ हा" सारण' ॥६ दुक्खु दुक्खु पुणु मण्ड णिवारिउ सोय-समुद्दों अप्पर तारिउ ॥ ७ 'तिक्ख-णहहों लङ्गल-पईहहों किर केत्तिय सहाय वणे सीहहों ॥८
॥ घत्ता ॥ अच्छउ अच्छउ जो अच्छइ तो वि ण अप्पमि जणय-सुअ । किह बुच्चमि हउँ एकल्लउ जासु सहेजा वीस भुअ॥९
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8. 1 wanting in A. 2 A रणि भिण्णउं, B रिणिभिण्णउं. 3 A परिच्छिण्णउं. 4 P कापरियउ, A °कत्तरियड. 5 P जमहंटु (marginally °°), s जमहाइ. 6 PS एक्कोइ. 7 कि, A को. 8 विणिवारिय. 9 P °वक्खहिं, S °वक्खहि.
9. 1 P हल्लिडं. 2 P सल्लिउं. 3 P S रावणु. 4 A °राणउं. 5 P S हय. 6 A विदाणउं. 7 A °वयणउं. 8 P S °भरंतु. 9 PS °वयणउ, A °नयणउं. 10 SA सहोयर. 11 A अहिणिय 12 A साहरण, B साहारण. 13 PS मणु वि. 14 P S णंगूल'. 155 एक्केल्लउ. 16 P S वे वि.
[८] १ के कथ्यते.
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