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१०.१२,१-९, १३, १-९]
जुज्झकण्ड-पंचसट्टिमो संधि [६१
[१२] रणु पित्तिएण सहुँ परिडेवि विण्णि वि कुमार गय ओसरेंवि ॥१ एके भामण्डलु धेरैवि णिउ अण्णेके 'तारा-पाणपिउ ॥२ कुढे लग्गेवि को वि ण सक्कियउ अम्बरें अमरेंहिँ कलयलु कियउ ॥३ तहिँ अवसरे आसक्रिय-मणेण वुच्चइ वलएउ विहीसणेण ॥४ । 'जइ विण्णि वि णिय परवइ प्रवर तो ण वि हउँ ण वि तुहुँ ण वि इयर ॥५ ण वि हय ण वि. गय रहवरेंहिँ सहुँ जं जाणहि तं चिन्तवहि लहु ॥६ तं णिसुणेवि 'वूढ-महाहवेण महलोयणु चिन्तिउ राहवेण ॥७ उवसग्ग-हरणे विण्णि मि जणाहुँ कुलभूसण-देसविहूसणाहुँ ॥८
॥ घत्ता ॥ परितुट्ठऍण विज जिह वर-गेहिणिउँ । • जं (2) दिण्णियउ - गरुड-मिगाहिव-वाहिणि ॥९
[१३] सो गरुडु देउ झाइउ मणेण थरहरिउ णवर सहुँ आसणेण ॥१ किर अवहि पउछेवि सकियउ 'लइ वुज्झिउ रामें चिन्तिय ॥२ ।। पुणु चिन्तेंवि देउ समुष्टिपर लहु विजउ 'लेप्पिणु पट्टविउ ॥३ हरिवहिणि सत्त-सऍहिँ सहिय गारुडु ताहें वि ति-सऍहिँ अहिय ॥४ वे छत्तइँ ससि-सूर-प्पह. रयणाइँ तिण्णि रणे दूसह. ॥५ गय विज पत्त णारायणहों हल-मुसलइँ सीर-प्पहरणहों ॥६ चिन्तिय-मेत्तइँ सम्पाइयइँ मुक्कइँ पर-वलहों पधाइयइँ ।।७।। 'तहें गारुड-विजहें दंसणेण गय णाग-पास णावि खणेण ॥८
॥ घत्ता ॥ भामण्डलेंण सुग्गीवेण वि गम्पि वलु। जोकारियर लाऍवि सिरे सइँ भु व-जुवलु ॥९
___12.1 P SA सहु. 2 PS धरिवि, A धरवि. 3 A ओसंकिय?. 4A मुहलोयणु. 5A हरण. 6. जणेहिं..7 A सणेहिं. 8 विजउ, A विजिउ.9 P णेहिं णिउ with marginally noted गे° for णे', s जेहि णिउ, A गेहिणिउं. 10 A °वाहिणिलं.
13. 1 P S लेविणु. 2 P S हरिवाहिणि. 3 A सिंहासणी. 4 P S 'पहाइ. 5 Ps दूसहाई . (°इ). 6 तहिं. .
[१२] १ सुग्रीवः. २ दृढतरसंग्रामेण. ३ विंतरदेवम्. ४ (P.' s reading ) स्नेहयुक्तः.५ सिंहवाहनी.
[१३] १ विद्ये द्वे गृहीत्वा प्रेक्षि(षि)तः. २ सिंहवाहनी. ३-रामस्य. Jain Education International
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