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६०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० १०,१-९,११,१-११
जं जिउ तारावइ पवर-भुउ तं भग्गु असेसु वि राम-वलु एत्तहें वि' ताम समावडिय पहरन्तहुँ वइरि-वियारण पुणु 'वाहाउ लग्ग किह हणुवन्तु लइउ रयणीयरेंण चरणेहिँ धरेंवि उच्चाइयउ पुणु लङ्का-णयरिहिँ उच्चलिउ
[१०]
अण्णु वि भामण्डलु जणय-सुउ ॥१ णं पवण-गलत्थिउ उवहि-जलु ॥२ मरुणन्दण-कुम्भयण्ण, भिडिय ॥३ "णिट्ठिय अणेय. पहरण. ॥ ४ उद्दण्ड-सोण्ड वेयण्ड जिहं ॥५ णं मेरु-महागिरि जिणवरेण ॥६ णं गिरि-सिहरेण चडावियउ ॥७ 'तारा-तणएण ताम खलिउ ॥८ । घत्ता ।। समर-सएहिँ अहङ्गऍण । रिउ विवत्थु किउ अङ्गऍण.॥९
धुत्तत्तणेण णीसङ्गु जिह
[११]
जं किउ 'विवत्थु रणे रयणियरु तं लग्गु हसेवऍ सुर-णियरु ॥१ 15 रावण-अन्तेउरु लज्जियउ थिउँ वङ्क-वयणु दिहि-वज्जियउ ॥२
सन्थवइ जाम्व णिय-परिहणउ मारुइ विमाणु गाउ अप्पणउ ॥३ तहिँ अवसर भड-भञ्जण-मणेण जयकारिउ रामु विहीसणेण ॥४ 'मइँ देव भिडन्तउ पेक्खु रणे जिह जलणु जलन्तउ सुक्क-वणे ॥५
जइ मइलमि वयणु ण पर-वलहों तो पइसमि धूमर्द्धऍ सलहों' ॥६ 20 गलगजेंवि एम "णिसायरेण किउ करें कोवण्डु अ-कायरेण ॥७ सण्णाहु लइउ रहवरें चडिउ रावण-णन्दणहों गम्पि भिडिउ ॥८ हक्कारइ पहरइ णिन्दइ वि पर्णवइ घणवाहणु इन्दइ वि ॥१, 'तुहुँ अम्हहँ वन्दण-जोग्गु किह तिहिँ सञ्झहिँ परम-जिणिन्दु जिह ॥ १०
॥ घत्ता ।। जो जणण-समु तहाँ किं पावें चिन्तिऍण ।
किर कवणु जसु जुज्झन्तहुँ सहुँ पित्तिऍण' ॥११ __10. 1 wanting in A. 2 P S ताव तामसि चडिय. 3 A मरुणंदणु कुंभयण्णु. 4 Ps पहरंतहु, A पहरंतउ. 5 Ps °वियारणाइ. 6 P णि?विय अणेयई पहरणाई, s णिविया भणेयइ पहरणाइ. 7 A मुह. 8 P S चलणेहिं (°हि).9 A सवर.
11. 1 A रावणु. 2 P S थिय. 3 P°पहिरणउं, 'पहिरणउ, A 'परिहणउं. 4 PA अप्पणउं. 5A राउ. 6 A धूवद्धय. 7 A घणगइ. [१०] १ बाहुयुद्धेन. २ हस्तीव. ३ श्रीवर्धमानेन मेरुः कंपं नीतः. ४ अंगदेन. [११] १ नमः. २ बध्नाति. ३ वलम्. ४ विभक्षणेन.
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