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________________ क० १५, १–९, १, १-८ ] हवन्तें महो अरु भिडिउ जाम सोतेंवि रहवरें सयल सीह सहुँ तेण पराइड मलवन्तु हालाहल विज्जुलुं विज्ज़ुजीहु जमर्हण्टु जमाणणु कालदण्डु कुसुमाउहु अक्कु मयङ्कु सक्कु सुउ सारणु म मरिच्चि -राउ आऍहिँ लङ्काहिव किङ्करेहिं जें सबेंहिँ लइड अखतेंण आयामिय समरे पचण्डेहिं हणुवन्तु रणें गयणयले पर-वलु अणन्तु हणुवन्तु एकु आरोकर कोक्कर संमुहु थाई · • गय- घर्ड भड थड भञ्जन्तु जाइ एक रहु महाहवें रस-विस जुज्झकण्ड - पंचसट्टिमो संधि [५५ [१५] सो जम्बुमालि सम्पत्तु ताम्व ॥ १ उद्दण्ड चण्ड लङ्गूल- दीह ॥ २ धुन्धुरु धूमक्खु कयन्तदन्तु ॥ ३ भिण्णञ्ज पहु भुअ-फलिह- दीहु ॥ ४ विहि डिण्डिम डम्बरु डमरु चण्डु ॥ ५ खवियारि सम्भुं करि मयरणकु ॥ ६ are महो अरु भीमकाउ ॥ ७ ace हृणुवन्तु भयङ्करेहिँ ॥ ८ ६५. पंचसहि संधि ] परिवेढिज्जइ णिसियरेंहिँ । बाल-दिवायरु जलहरेंहिं' ॥ [१] Jain Education International ॥ धत्ता ॥ हणुवें हरिसिय-गत्र्त्तेण । वइरि से इं भु व दण्डेहिं ॥ ९ * -यो ण वि पहु जासु ण कवउ छिण्णु सो ण वि तुरङ्ग जसु गुड्डु ण तुट्टु विभासु छण्णु गत्तु विभाण मलिउ माणुसो ण वि धउ जासु ण लग्गु वाणु ॥ ५ सो ण वि गउ जासु ण कुम्भु भिण्णु ॥ ६ सो ण वि रहु जसु ण रह फुड ॥ ७ तं ण वि विमाणु जं सरु ण पत्तु ॥ ८ 11 गय - जूहों णाइँ मइन्दु थक्कु ॥ १ जहिँ जहिँ जें थट्टु तहिँ तहिँ जें धाइ ॥ २ सत्थलें लग्गु दवग्ग णाइँ ॥ ३ पैरिभमइ णाइँ वलें मझ्यवद्दु ॥ ४ 15. 1P 6 हणुवंतमहोयर भिडिय जाव. 2 Psणंगूल 3PS घुमुक्खकियंत°. 4 Ps विज्जुल, 4 लु. 5 A भिन्नंजणपहुं. 6 P जमदंडु, 8 जमदंडू. 7 PS डामरु डमर. 8 A संतु. 9PS मार 10 A भीमच्छु. 11 P अखत्तेंहिं. 12 P s समर. 13 Ps स. 1. 1 A reads ध्रुवकं at the end. 2 PA समुहुं. 3 A थाहूं. 4 This pāda is wanting in A, 5 P तननि. 6 Ps जहि. For Private & Personal Use Only 5 10 15 20 www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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