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क०२,९३,१-९,४,
जुज्झकण्ड-चउसट्ठिमो संधि [४९
॥ घत्ता
॥
पडिवक्ख-पक्ख-पतिकूलहुँ वज्जोअर-सङ्कलहुँ । विहिँ को गरुआरउ किजइ एक्कु वि जिणइ ण जिजइ ॥ ९
एत्तहें वि भिउडि-भङ्गुर-वयण अन्भिट्ट वे वि वद्धामरिस हरिदमणे 'पहरु पहरु' भणेवि महि-मण्डले पाडिउ वाहुवलि पुणु चेयण लहेवि भयङ्करेंण पडिवारउ आहउ मोग्गरेण तहिँ तेहएँ काले समावडिय रणे परिसक्कन्ति भमन्ति किह
ते वाहुवलिन्द-सीहदैमण ॥ १ . गिरिमलय-सुवेलसेल-सरिस ॥ २ सिरे मोग्गर-घाएं आहणेवि ॥ ३ तोसेण व परिवहन्त-कलि ॥ ४
आरुढ़ें राहव-किङ्करण ।। ५ ।। वच्छत्थलें णं इन्दीवरेण ॥ ६ . भड विजय-सयम्भु वे वि भिडिय ॥७ चल चञ्चल विजुल-पुञ्ज जिह ॥ ८
॥ घत्ता
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आयावि रावण-भिच्चेण णिय-कुल-णह-आइच्चेण । जैट्ठियऍ विजउ विणिभिण्णउँ पंडिउ णाइँ दुमु छिण्णउ ॥ ९
[४] रण विजउ सयम्भु वि णिहउ जं जें खवियारि-वीर-सङ्कोह तं जें ॥१ अभिट्ट परोप्पर पुलइअङ्गणं खर-णारायण रण अभङ्ग ॥ २ णं रावणिन्द विप्फरिय-तुण्ड णं गन्धहत्थि उद्दण्ड-सुण्ड ॥३ एत्थन्तरें सुरवरहु मि असक्कु सङ्कोहें मेलिउ पढमु चक्कु ॥ ४ ॥ गयणङ्गमें तं पजलन्तु जाइ अत्थइरिहें दिणयर-विम्वु णाइँ ॥ ५ खवियारि-णिवहों वच्छयले लग्गु जिह णलिणि-पत्तु तिह तहिँ जि भग्गु ॥६ तेण वि पडिवखहों चक्कु मुक्त सङ्कोहहाँ णं जमकरणु ढुक्क ॥ ७ सिरु खुडिउ मरालें जेम कमलु ण" इन्दिन्दिरु रुण्टन्त-मुहलु ॥ ८ 4 P S एक्कइ, A एहु वि.
3. rA भिडिउ. 2 A तिह. 3 PS °सीहदवण. 4 P S परिवहूंति, A परिवर्सेतु. 5 PS भइ रुटुं. 6 Ps'ओयउ.7 PS रामण°. 8A जट्रिए.9 P विणिविण्णउ, S चिण्णिविण्णउ, A विभिण्णउं.
4. 1 P सविभारि, A सवियार. 2 PS संखोह. 3 P S अहंग. 4 P A सुरवरहुं. 5 P संखोहे, s णं खोहिं. 6 P S A पढम. 7 P S णाइ, A नाइ. 8 P खविअरि, A खविआरि. 9 A तहिं. . 10 PS पडिर्चकहो. 11 Ps संखोहहो. 12 wanting in P s. 13 P S रुणुरुटुंत°.
[३] १ सीहदवणेन. [४] १ खरदूसण.
पउ०च०७
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