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५८ सयम्भुकिउ पउमचरिउ
कि .१.१-९,२,१-6 [६१. चउसट्ठिमो संधि ] दणु-दारण-पहरण-हत्थई जयसिरि-गहण-समत्थई । रण-रस-रोमश्च-विसई वलइँ वे वि अभिट्टइँ॥
[१] 5 अभिट्टई वे वि स-वाहणाइँ वायरण-पयाइँ व साहणाइँ ॥१ जिह ताई तेम्व हैल-सङ्गहाइँ "जिह ताई तेम किय-विग्गहाई॥२ जिह ताई तेम सन्धिय-सराई जिह ताई तेम पच्चय-कराइँ॥ ३ जिह ताइँ तेम उँवसग्गिराइँ जिह ताइँ तेम्व जस-मग्गिराइँ॥४ जिह ताइँ तेम पर-लोप्पिराइँ वहु-एक-दु-वयण-पजम्पिराइँ ॥ ५ "जिह ताइँ तेम्व अत्थुजलाइँ परियाणिय-सयल-वलावलाइँ ॥६ जिह ताइँ तेम्व गासायराइँ जिह ताइँ तेम वहु-भासिराइँ ॥ ७ अण्णण्ण-सह-विण्णासिराइँ॥८
॥ घत्ता ॥ जिह ताइँ तेम आयरियइँ वाइ-णिवायहुँ चरियइँ। 15 'दीहर-समास-अहियरण वलइँ णाई वायरणइँ ॥ ९
[२] तहिं तेहएँ रणे रयणीयरासु सहूलु वलिउ वजोअरासु ॥ १ ते भिडिय चण्ड-कोवण्ड-हत्थ सुर-समर-पवर-धुर-धर-समत्थ ॥२
पउ अग्गएँ देन्ति ण ओसरन्ति पहरन्ति ण पहरण वीसरन्ति ॥ ३ 20 दरिसन्ति मडप्फरु णेय पुट्टि जीविउ सिढिलन्ति ण चाव-मुट्ठि ॥ ४
मेल्लन्ति वाण ण मुअन्ति धीर परिहउ रक्खन्ति ण णिय-सरीरु ॥ ५ लग्गइ णाराउ ण कुलें कलङ्क सरु वङ्कइ वयणु ण होइ वकु ॥ ६ गुणु छिजइ सीसु ण दुण्णिवारु धउ पडइ ण हियउ ण पुरिसयारु ॥ ७ ओवुण्ण-तुरङ्गम-धुर-विसर्दु रहु भज्जइ भज्जइ णउ मरट्ट॥८
1. 1 A reads ध्रुवकं at the end. 2 P वेण्णि वि साहणई, s विणि वि साहणाइ, A सवाहणई. 3 PS A पयाइ. 4 P S साहणई, s साहणाइ. 5 This pada is not found in A. 6. PS धाउणिवायह( इं) भरियई(s °इ).
2. 1 P अग्गिं, S अग्गि. 2 P S ऊसरंति. 3 P S उच्चुण्ण. [१] १ पुलकितानि. २ व्याकरणपदानि. लांगलम् , द्वि (१). ३ ककारादि-हकारपर्यंतो वर्णसमुदायः. ४ पक्षे, समासः. ५ क्रिया-अख्यात-पदं, युद्धानुष्ठानं वा. ६ प्र-परादि. ७ शस्त्रं, शब्दार्थ चिरा (?). ८ उभयत्र न्यासो. ९ दीर्घतरा सम्यक् निश्चिता या आसा(शा) तया अधिकरणोपायो बलयोः अन्यत्र हा (?)षा या वारा द्वंद्वानामधिकरणं व्याकरणं.
[२] १ रामस्य.
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