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क० ११, ५–१०; ६, १ - १० ]
वहुव ( 2 ) - अब्भ-पत्त - सच्छायहा पसरिय-अन्धयार-भमर - उलहों सि - णारिऍ खुड्डेवि जस-लुद्धऍ वहल-तमालें जगु . अन्धारिउ Maa art of 'सुढिय-गत्तइँ
रावण - घरें. राह-वलें
को वि महावल पर वलु णिन्दइ को वि भइ 'महु तोयदवाहणु' को वि भणइ 'उपइँ जयकारमि को वि भणइ 'हउँ मरिचहुँ को वि भणइ 'महु मरइ महोअरू को वि भणेइ 'करीमि त पेसणु को वि भणइ 'हय-गय-रह-वाहणु ताम्व विहाणु भाणु णहें उग्गड
"आहिण्डेंवि सम्पाइड
[१२] ·
भणिउ को वि वीरु 'किं दुम्मणो सि देव । णिसियर - हरिण- जूहें पइसरमि सीहु जेम ॥ १
[११] विशथिली [] कृत ?
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जुज्झकण्ड - तिसट्टिमो संधि ४७
गह-णक्खत्त - कुसुम-सङ्घायहों ॥ ५
आयास- दुम र विउलहों ॥। ६ रवि-फलु गिलिउ णाइँ जियसद्धऍ ॥ ७ विहि मिलहँ णं जुज्झु णिवारिउ ॥ ८ णिय- णिय-आवासों परियत्तइँ ॥ ९
॥ घत्ता ॥
जय- तूरइँ अप्फालियइँ | मुइँ इँ सि-मलियइँ ॥ १०
को वि भइ 'महु कलऍ इन्दई' ॥ २ को वि भणइ 'स-सूउ महु सारणु' ॥ ३ जाम ण कुम्भयण्णु रणें मारमि ॥ ४ भिडमि राहु जिह चन्दाइ हुँ' ॥ ५ छुहमि कयन्त-वयर्णे वज्जो अरु' ॥ ६ पेसमि जम्बुमालि जम- सासणु' ॥ ७ महु आवग्गउ रावण - साहणु' ॥ ८ यहि त गब्भु णं णिग्गउ ॥ ९
॥ घत्ता ॥
जगु सयरायरु सिग्घगइ । ाइँ सँ इं भुव णाहिवइ ॥ १०
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6 Ps°धव°, '7 A आयासमहोअरविउ 8Ps वलेहि . 9 A वल", 12. 1 Ps. 2 P s करेमि. 3 A तगडे भंगु. 4 Ps सयं.
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