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________________ ४२ सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० २, ७-१०,३, १-१०,४,१ णल-णील-विराहिय-कुमुअ-कुन्द जम्वव सुसेण-दहिमुह-महिन्द ॥७ तारावइ-तार-तरङ्ग-रभ सोमित्ति-हणुव अहिमाण-खम्भ ॥८ अक्कोस-दुरिय-सन्ताव-पहिय णन्दण-भामण्डल राम-सहिय ॥ ९ ॥ घत्ता॥ सण्णद्धई एम राम-रावण-वलइँ। आलग्ग णं खय-काले उवहि-जलइँ ॥ १० [३] 'भिडिय. वे वि सेण्णइं जाउ जुज्झु घोरों। कुण्डल-कडय-मउड-णिवेडन्त-कणय-दोरो ॥१ 1" हणहणहणकारु महा-रउद्दु छणछणछणन्त-गुण-सिन्थ-सहु॥२ करकरयरन्त-कोदण्ड-पयरु थरथरहरन्त-णाराय-णियर ॥ ३ । खणखणखणन्त-तिक्खग्ग-खग्गु हिलिहिलिहिलन्त-हय-चञ्चलग्गु ॥४ गुलुगुलुगुलन्त-गयवर-विसालु हणुहणु-भणन्त-णरवर-वमालु ॥ ५ पुप्फस-वस-णिग्गन्तन्त-मालु धावन्त-कलेवर-सव-करालु॥६ 15 झलझलझलन्त-सोणिय-पवाहु छिजन्त-चलप-तुट्टन्त-वाहु ॥७ णिवडन्त-सीसु णचन्त-रुण्डु ओणल-तुरय-धय-छत्त-दण्डु ॥ ८ तहिँ तेहएँ रणे रण-भर-समत्थु राहव-किङ्कर वर-चाव-हत्थु ॥९ ॥ पत्ता ॥ सीहद्धउ धवेल-सीह-सन्दणे चडिउ । सहुँ मारिच्चे अभिडिउ ॥ १०.. सन्तावणु [४] वेण्णि वि सीह-सन्दणा वे वि सीह-चिन्धा। वेण्णि वि चाव-करयला वे वि जगें पसिद्धा ॥१ 8 P S °भंग. 9 P S अक्कोव. 10 wanting in P S A. 11 A उअहि. 3. 1 Ps read दुवई in the beginning. 2 PS घोरु. 3 A "णिवडंति, P S कडयडोरु. 4 P s mostly read this and the succeeding onomatopoetic words as ending in °उ. 5 P S °पिच्छ०. 6 PS करकरकरंतु. 7 P s थरथरथरंतु. 8 P S A खणखणखणंतु. 9 Ps भणंतु. 10 P पोप्फस, पप्फस. 11 PS सैंड. 12 PS दंड. 13 Ps वारणस्थु, 14 P चवल'; wanting in s. 15 PS सुहु, A सहु. [३] १ नामा शुभटुः ( सुभटः ).. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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