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क० ४,२-१०५, १-१०]
जुज्झकण्डं-तिसट्ठिमो संधि ४३ वेण्णि वि जस-लुद्ध विरुद्ध कुद्ध वेण्णि वि वंसुजल कुल-विसुद्ध ॥२ । वेण्णि वि सुरवंहु-आणन्द-जाणण वेणि वि सत्तुत्तम सत्तु-हणण ॥३ वेण्णि वि रण-धुर-धोरिय महन्त वेण्णि वि जिण-सासणे भत्तिवन्त ॥४ वेण्णि वि दुजय जय-सिरि-णिवास वैण्णि वि पणई-यण-पूरियास ॥५ वेण्णि वि णिसियर-णरवर-वरिठ्ठ वेणि वि रोहव-रावणहँ इट्ट ॥ ६ ॥ वेण्णि वि जुज्झन्ति सिलीमुहेहिँ णं गिरि अवरोप्पर सरि-मुहेहिँ ॥ ७ मारिच्चहों भय-भीसावणेण धणु 'छिण्णु णवर सन्तावणेण ॥८ तेण वि तहों चिर-पेसिय-सरेहिँ संसारु व परम-जिणेसरेहिँ ॥९
॥ घत्ता
॥
विहिं मि रणे
णिय-णिय-चावइँ चत्ता। सप्पुरिॐहिँ
णं णिग्गुणइँ कलत्ताइँ ॥ १०
[५] घत्तेवि धणुवराइँ लइओ गयासणीओ।
णा कयन्त-दाढओ जग-विणासणीओ ॥१ णं पिसुण-मइउ दप्पुब्भडाउ णं असइउ पर-णर-लम्पडाउ ॥ २ णं कुगइउ भय-भीसावा णं दुम्महिलउ कलहण-मणाउ ॥३ णं दिविउ काल-सणिच्छराहँ णं कुहिणिउ दूसंवच्छराहँ ॥४ णं दित्तिउ पलय-दिवायराहँ णं वीचिउ खय-रयणायराहँ ॥५ तिह लउडिउ भिउडि-भयङ्कराहँ दासरहि-दसाणण-किङ्कराहँ ॥ ६ रेहन्ति करेंहिँ रयणुजलाउ णं मेह-णियम्बंहिँ विजुलाउ ॥७ मुच्चन्तिउ सट्टन्ति केम्व गह-घट्टणे गह-पन्तीउ जेम्व ॥८ णहें अमर-विमाणइँ सकियाइँ गय-घाय-दवग्गि-तिडिकियाइँ ॥९
॥ घत्ता ॥ मारिच्चेण
स-रेहु स-सारहि स-धउ हउ । सरवि
हड्डहँ पोट्टलु णवर कउ ॥ १० ___ 4. 1,P S रावणराहवहं (s °ह), A रामणवरिट. 2 A वधंति. 3 P S धणु जीउ च्छिण्णु. 4 P 9 चत्तई (.s °इ). 5 P s कलत्तइ.
5. 1 PS धणुहराई. 2 P भीसावणउं. 3 PS °सणिच्छराहु. 4 A कुहिणिलं. 5 P दुट्ठसंमच्छराहुं, S दुटुसमच्छराहु. 6A भिडिउ. 7 PS मुंचंतिउ. 8 P हय corrected as गय. 9 P S तडक्किमाई. 10 P सरहुं. 11 PS हड्डइ. 12 P S तेण किउ. [४] १ याचकः. २ (P'. s reading ) प्रत्यंचा. [५] १ वेलउ.
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