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________________ कै० १, १ - १०; २, १-६ ] रवि-उग्ग में सण्णद्धइँ पडु-पडह-सङ्घ- भेरी-रवेण कोलाहल - काहल-णीसणेण घुम्मु-करड-टिविला-धरेण पडिढक्क-हुडुक्का - वजिरेण तण्डविय - कण्ण- विहुणिय- सिरेण पक्खरिय-तुरय-पवणुब्भडेण -मामेलिय- सन्दणेण वन्दिण - जयका रुग्घो सिरेण सो सरि रामणो समउ साहणेणं । रहे-गय-तुरय-जोह-पञ्चमुह-वाहणं ॥ १ • [ ६३. तिसट्टिमो संधि ] 'अहिणव- गहिय-पसाहणइँ । रोम- दसाणण - साहणइँ | [१] सहूँ से छण-चन्दु व सण सरहसु जम्बुमालि aणज्झइ म मरीचि अण्णु सण्णज्झइ जरु अहिमाण- खम्भु सण्णज्झइ चदुद्दामु अक्कु पर्विक्खें वि सण्णज्झन्ति वीर Jain Education International जुज्झकण्ड - तिसट्टिमो संघि ४१ [१] १ भ्रमरैः. [२] सेण्णज्झन्ति जाहे सण्णद्धए दसासे । खुहिय - महोहि व्व सुँ-समुट्ठिए विणासे ॥ १ प३० ब० ६ कंसाल-ताल- दडि - रउरवेण ॥ २ पञ्चविर्य-मउन्दा - भीसणेण ॥ ३ झल्लरि-रुञ्जा- डमरुअ-करेण ॥ ४ घुम्मन्त-मत्त गर्यं - गजिरेण ॥ ५ गुमुगुमुगुमन्त - इन्दिन्दिरेण ॥ ६ धूवंत-धवल - धुअं-धयवडेण ॥ ७ जम-वरुण कुवेर - विमद्दणेण ॥ ८ सुरवहुअ-सत्थ - परिओसिरेण ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ सहइ दसाणणु णीसरिउ । - यिरें परियरिउ ॥ १० तारा 1. 1Ps वे विराम'. 2 A reads हेला in the beginning. 3 P हय corrected as रह; न्य° 4 A reads ध्रुवकं at the end 5 Ps वड्डीअमुउंदा 6 4 हासणे. 7Ps घमुक्क 8Ps ° रवेण 9 missing in A. 10 Ps ° इंदीवरेण. 11 Ps वधूवडेण. 12Ps परितोसणेण 13PS सेण्णें. 2. 1 P s-read दुबई in the beginning. 2 A महोअहि. 3Ps समुट्ठिए. 4 Ps मारिचि. 5 Ps हाणु, A द्दाम 6 PS घुम्मुकु. 7 P पडिपेखेवि, s पडिपेक्खिवि, डिण्डिमु डामरु उड्डमरु मालि ॥ २ इन्दइ घणवाणु भाणुकण्णु ॥ ३ पञ्चमुहुणियम्बु सम्भु सम्भु ४ धूर्मंक्खु जयाणणु मयरु णक्कु ॥ ५ अङ्गङ्गय-गवय- गवक्ख धीर ॥ ६ V For Private & Personal Use Only 3 10 15 20 25 www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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