SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 100
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ क. १२,९,१३, १-१०,१४, १-२ ॥ घत्ता॥ रह गय घट्टन्तु हउँ पुणु कहि मि ण सण्ठमि । सव्वों पलउ करन्तु धूमकेउ जिह उट्टमि' ॥ ९ [१३] । भड-चोक्कउ णिसुणेवि दहवयणु हरिसिय-भुउ पप्फुल्लिय-र्णयणु ॥ १ अप्पउ सिङ्गारवि णीसरिउ लहु णिय-अन्तेउरें पइसरिउ ॥२ णेउर-झङ्कार-घोर-सरऍ कञ्ची-कलाव-रङ्खोलिरऍ ॥३ मणि-कडय-मउड-चूडाहरणे सिय-हार-फार-भारुव्वहणें ॥४ कुण्डल-केऊर-विहूसियएँ विब्भम-विलास-अहिविलसियएँ ॥५ ॥ ससि-मुहें मिग-णयणे हंस-गमणे णं भसलु पइट्ठउ भिसिणि-वणे ॥६ चुम्वन्तु वराणण-सयदलइँ कप्पूर-दूरगय-परिमलइँ ॥७ उक्कोवण-केसर-णियर-वसु गेण्हन्तउ रय-मयरन्द-रसु.॥८ पहुँ एमन्तेउरें परिभमिउ सुविहाणु भाणु ता उग्गमिउ ॥९ ॥ घत्ता ॥ हत्थ-पहत्थहुँ जुज्झें भड-मडएहिँ ण धाईउ । णाई पडीवउ कालु भोयण-कङ्खऍ आइउ ॥१० [१४] जेहिँ जेहिँ रयणिहिँ गलगजिउ जेहिँ जेहिँ णिय-कजु विवजिउ ॥१ जेहिँ जेहिं लङ्काहिउ इच्छिउ जेहिं जेहिँ रण-भारु पडिच्छिउ ॥२ " ताहँ ताहँ पप्फुल्लिय-चयणें पेसिय णिय पसाय दहवयणें ॥३ कासु वि कुण्डल-जुअलु णिउत्तउ कहाँ वि कडउ कण्ठउ कडिसुत्तउ ॥ ४ कहाँ वि मउडु कासु वि चूडामणि कों वि माल कासु वि इन्दाईणि ॥५ कहाँ वि गइन्दु तुरङ्गमु कासु वि थोडंउ कहों वि दिणार-सहासु वि ॥ ६ कहों वि भारु तुल कहाँ वि सुवण्णहों अण्णहों लक्ख कोडि पुणु अण्णहाँ॥७ ४ कहाँ वि फुल्लु तम्बोलु स-हत्थें कहाँ वि पसाहणु सहुँ वर-वत्थें ॥८ ॥घत ॥ जे पट्टविय पसाय ते णरवरेंहिँ पचण्डेंहिँ । णावि सिर-कसलाई लइय स ई भु अ-दण्डहिँ ॥९ . 5 PS गय हय.6 P घडंतु. 7 PS कह मिण संठवमि. 8 PS A सम्वहु.9 P S उटुवमि. 13. 1 P S 'वयणु. 2 PS 'रुग्घोसिरए. 3 A वहु एवं 4 Pणहे, s जहि. 5 PS धाइयउ. 6PS आयउ. 14. I wanting in A. 2 PS थोडं. 3 PS फुल्ल. 4 'P णावेषि, s णाविवि. 5 PS सयं, [१४] १ इन्द्रमणि आभरण. . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy