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कं०१, ६-९,२,१-९,३,१-४]
उज्झाकण्डं-छच्चीसमो संधि [४३ । दसउर-पुर-परमेसरु रामें साहुक्कारिउ सुहड-णिसामें ॥
॥ घत्ता ॥ 'सच्चउ परवइ मिच्छत्त-सहि उ मिजहि । दि-सम्मत्तण पर तुज्झु जें तुहुँ उवमिजहि ॥ ९
[२] तं णिसुणेवि पयम्पिउ 'राएं 'एउ सव्वु महु तुम्ह पसाएं' ॥१ पुणु वि तिलोय-विणिग्गय-णामें विजुलङ्ग पोमाइउ रामें ॥२ 'भो दिढं-कढिण-वियड-वच्छत्थल साहु साहु साहम्मिय-वच्छल ॥३ सुन्दरु किउ जं णरवइ रक्खिउ रणें अच्छन्तु ण प उबेक्खिउ' ॥४ तो एत्थन्तरें वुत्तु कुमार 'जम्पिएण किं वहु-वित्थारें ॥५ ॥ हे दसउर-णरिन्दै विसँगइ-सुअ जिणवर-चलण-कमल-फुल्लन्धुअ॥ ६ जो खलु खुइ पिसुणु मच्छरियउ अच्छइ ऍहु सीहोयरु धरियउ ॥७. किं मारमि किं अप्पुर्ण मारहि णं तो दय करि सन्धि समारहि ॥ ८
॥घत्ता॥ आण-वडिच्छउ ऍहु एवहिँ भिचु तुहारउ । रिसह-जिणिन्दों सेयंसु वै पेसणयारउ' ॥९
[३] पभइ वजयण्णु वहु-जाणंउ 'हउँ पाइक्कु पुणु वि ऍहु राणउ ॥ १ णवर एकु वर्ड मइँ पालेवउ जिणु मेल्लेवि अण्णु ण णमेवउ' ॥२ तं णिसुणेविणु लक्खण-रामेहिँ सुरवर-भवर्ण-विणिग्गय-णाहिँ ॥ ३ ॥ दसउरपुर-उज्जेणि-पहाणा वज्जयण-सीहोयर-राणा ॥४ वेण्णि वि हत्थे हत्थु धराविय. सरहर्स कण्ठग्गहणु कराविय ॥५ अद्धोअद्धिऍ महि भुञ्जाविय अण्णु वि जिणवर-धम्मु सुणाविय ॥६ कामिणि कामलेह कोकाविय विजुलअङ्गहों करयले लाविय ॥७ दिण्णइँ मणि-कुण्डलइँ फुरन्त चन्दाइचहुँ तेउ हरन्त. ॥ ८ ॥ 11 Aण. 12 Ps भिजहिं. 13 A दि. 14 P S उवमिजहिं.
2. 1 PS सच्चु. 2 A दढ. 3 A उप्पेक्खिउ. 4 A विहगइ. 5 वयण. 6 PS अप्पण. 7P पडिच्छह, वडिच्छइ.8PS अ.
3. 1S A पभणइं. 2 P S वहुजाणउं. 3 P A राणउं. 4 A मई धुउ. 5 P S णवेवउ. 6 PS °भुवर्ण. 7PS वजयण्णु. 8 P 3 सहरसु. 9 PS कंयागहणु, A कंठग्गहणं. 10A भद्धोवद्धिय. 11 PS काइय. [२] १ वज्रकर्णेन. २ विश्वगति-नृप-सुत. ३ भ्रमर.
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