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________________ 3 10 15 ३० ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ तं चित्तउडु मुवि तुरन्तइँ दिट्ठ महासरे कमल - करम्विय उज्जाणइँ सोहन्ति सु-पत्तइँ सालिवणइँ पणमन्ति सु-भत्तइँ उच्छुवाइँ दल-दीहर-गत्तइँ पङ्कय-पर्व - पीलुप्पल-सामेहिं सीरकुडुत्रिं मणुसु पदीसिउ eses - फुई-सी चल-णयणउ सोणासन्तु कुमारें आणि रामहों पासु धणुहर- हत्थे सीरकुड्डु विउ ॥ घत्ता ॥ Jain Education International तं णिसुणेवि पजम्पिड गेहवइ " सीहोयरहों भि हियइच्छिंउ दसर - पाहु जिणेसर-भत्तउ जिणवर - पडिमंडऍ लेप्पिणु ताम कु-मन्तिहिँ कहिउ परिन्दों तं णिसुणेवि वयणु पहु कुद्धउ w [१५] दसउरपुर - सीमन्तर पत्तइँ ॥ १ सारस -हंसावलि - वर्ग-चुम्बिय ॥ २ मुणिवरं इव सु-हलाइँ सु-पत्तई ॥ ३ णं सावयइँ जिणेसर - अन्तइँ ॥ ४ 'णिय-वई - लङ्घर्णइँ व दुकलत्तहूँ ॥ ५ इस लक्खण - रामहिं ॥ ६ वर्ण कुरङ्ग व वात्तासि ॥ ७ पाणकन्तु समुब्भड वयणउ ॥ ८ सुरवर - करि-कर-चण्डॆहिँ । धरेंवि स "ई भु व दण्डेहिं ॥ ९ * [२५. पञ्चवीसमो संधि ] [ क० १५, १–९, १, १-७ दुव्वार - वइरि - आयामें । मम्भीसेंवि पुच्छिउ रामें ॥ १ [ १ ] दुद्दम-दाणविन्दे-मद्दण- महाहवेणं । 'भो भो किं विसन्धुलो' वुत्तु राहवेणं ॥ १ 'वजयण्णु णामेण सु-णरवइ ॥ २ भरहु व रिसों आणवडिच्छिउ ॥ ३ पियवज्रणहों पासें उवसन्त ॥ ४ tors as हु मुएप्पिणु ॥ ५ “पइँ अवगण्णैवि णवई जिणिन्द हों" ॥६ णं खय-कालें किन्तु विरुद्ध ॥ ७ 15. 14 महासरि 24 वय 6s सीलवणई. 7Ps ° लंघाई व, A कुडविउ 10 PS वुपण. 11 P° फुट्ठ, s पुट्ट. 12Ps सयं. 1. 1 P corrects as दाणवजिन्द° 2s हियर्थच्छिउ 3 A आणवडिच्छउ. 4 A°दहउर° 5 A ° मंगुट्ठहिं कप्पिणु. 6 P corrects as जिण. 34 पसत. 4 A omits. 5Ps सहलाई सपत्तइं. लंघणइ व 8 PS वण', A 'नव'. 9PS सीर [१५] १ निज-भर्ता, निअं-वाटी व २ सहशाभ्याम् ३ व्याधेन, ४ अतीव मुक्त- केशों भीजनवस्त्रादि-रहितो वा. [१] १ कुटुम्बी. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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