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________________ 10 *२८] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०५१,१-९, १२,१-८३," . [११] एम चवि उच्चलिउ महाइउ राहव-जणणिहें भवणुः पराइउ॥ १ . विणउ करेप्पिणु पासु पटुकिउ 'रामु माऍ मइँ धरेंवि ण सक्किउ ॥२ हउँ तुम्हेवहिँ आणवडिच्छउ पेसणयारउ चलण-णियच्छउ' । ३ । धीरेंवि एम जणणि देणु-दमणहों भरहु णराहिउ गउ णिय-भवणहों ॥ ४ जाणइ हरि हलहरु विहरन्तइँ तिण्णि मि तावस-वणु संपत्तइँ॥५ तावस के वि दिट्ट जड-हारिय कु-जण कु-गाम जेम जड-हारिय ॥ ६. के वि तिदण्डि के विधाडीसर कुविय णरिन्द जेम धोडीसर ॥७ के वि रुद्द रुद्दकुस-हत्था मेट्ठ जेम रुद्दकुस-हत्था ॥८ ॥ घत्ता ॥ तहिँ पइसन्ती सीय लक्खण-राम-विहूसिय । विहिँ पक्खेहि समाण पुण्णिम णाई पदीसिय ॥९ [१२] अण्णु वि थोवन्तर विहरन्तइँ वणु धाणुकहँ पुणु संपत्तइँ ॥१ 1s जहिँ जणवउ मय-वत्थ-णियत्थउ वरहिण-पिच्छ-पसाहिय-हत्थउ ॥२ कन्द-मूल-बहु-वणफल-भुञ्जउ सिरे वड-माल वद्ध गले गुञ्जउ ॥ ३ जहिँ जुवइउ छई जाय विवाहउ मयकरि-रय-वलयडिय-वाहउ ॥४ भयकरि-कुम्भु करेप्पिणु उक्खलु लेवि विसाण-मुसलु धवलुजलु ॥५ मोत्तिय-चाउल-दलणोवइयउ । चुम्विय-वयणउ मयणब्भइयउ ॥६ 20 तं तेहउ वणु भिल्लहुँ केरउ हरि-वलएवेहि किउ विवरेरउ ॥ ७ ॥ घत्ता॥ तं मेलेवि घरंवारु लोयहिँ हरिसिय-देहेंहिं । छाइय लक्खण-राम चन्द-सूर जिम मेहेंहिँ ॥८ . [१३] 25 स-हरि स-भजउ रामु धणुद्धरु अण्णु वि जाम जाइ थोवन्तरु ॥१ 11. 1 A पासु. 2 P पटुक्क उ. 3 P S एवहिं तुम्हहं. 4 A समाणु. 12. 1 PS वरहिणि. 2 PS मूलवणफल भुंजंतउ, A ° जिउ. 3 P गुंजिउ. 4 A च्छदु or स्थड. 5 Ps °कुंभ. 6 P °दलणोवाइडं, s°दलणोवाइउ, A°दसणीवईयउ.7 PS मयणु. 8 A घरु वारु. 9 A जिह. [११] १ शत्रुदमनस्य रामस्य. २ तीर्थयात्रागामिन. ३ छनप्रहारिणः. ४ रुद्रो देवता येषाम्. अङ्कटिका (?). . [१२] १ मृगचर्मावृतः. २ निवस्त्रः कांवली वा (१). ३ मदोपलक्षित-हस्ति-दन्त-वलयाः. . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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