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क०९, १-९,१०,१-९] .
उज्झाकण्डं-चउवीसमो संधि [२७°
[९] तं वयणु सुर्णेवि दसरह-सुएण अवगूढ भरहु हरिसिय-भुएण ॥१ 'सच्चउ माया-पिय-परम-दासु पइँ मेल्लेवि अण्णहाँ विणउ कासु' ॥२ अवरोप्परु ए आलाव जाम तहिँ जुवइ-सयहिँ परियरिय ताम ॥ ३ लक्खिज्जइ भरहहाँ तणिय माग्न णं गय-घड भड भञ्जन्ति आय ॥४ णं तिलय-विहूसिय वैच्छराइस-पओहर अम्वर-सोह णा॥ ५ णं भरहहाँ सम्पय-रिद्धि-विद्धि णं रामहों गमणहाँ तणिय सिद्धि ॥६ णं भरहहाँ सुन्दर-सोक्ख-खाणि णं रामह) इट्ठ-कलत्त-हाणि ॥ ७ णं भणइ भरहुं तुहुँ आउ आउँ वण-वासों राहउ जाउ जाउ' ॥८
॥ घत्ता ॥ सु-पय सु-सन्धि सु-णाम वयण-विहत्ति-विहूसिय । कह वायरणहों जेम केकय 'एन्ति पदीसियं ॥९
. [१०] 'सहुँ सीयएँ दसरह-णन्दणेहिँ जोकारिय राम-जणदणेहिँ ॥ १ . . पुणु वुच्चइ 'सीर-प्पहरणेण 'किं आणिउ भरहु अकारणेण ॥ २ ॥ सुणं माएँ महारउ परम-तचु पालेवउँ तायहाँ तणउ सच्चु ॥ ३ । णउ तुरऍहिँ णउ रहवरेंहिँ कजु णउ सोलह वरिसइँ करमि रज्जु ॥४ जं दिण्णु सञ्चु ताएं ति-वार तं मइ मि दिण्णु तुम्ह सय-वार' ॥५ ऍउ वैयणु भणेपिणु सुह-समिद्ध सइँ हत्थे भरहहाँ प१ वर्ल्ड ॥ ६ आउँच्छवि पर-वल-मइय-वह वण-वासहा राहउ पुणु पयट्ट ॥७ गउ भरहु 'णियत्तु सु-पुजमाणु जिण-भवण पत्तु भिच्चेहि समाणु ॥८
॥धत्ता ॥ "विहुँ मुणि-धवलहुँ पासे भरहें लइउ अवग्गहु । 'दिट्टएँ राहवचन्दै महु णिवित्ति हय-रजो' ॥ ९
9. 15 मई. 2 P तिहि. 3 A भर. 4 A हुं. 5 P A आउं. 6 A इंति. 7 P S पदरिसिय. 10. 1 PS A सहु. 2 P corrects as जयकारिय. 38 सुणि. 4 5 पालेब्वउ. 5 PS राएं. 6 PS omit. 7 P सयवारवार, A सयवार. 8 A वय. 9 सुणेपिणु, A सुणेविणु. 10 s आउंच्छिवि. 11 PS A स. 12 PS भिच्छे. 13 PS विहि. 14 P मुह. 15 PS इह.
[९] १ आलिङ्गिलः. २ वृक्षविशेषः, मण्डनं च. ३ वृक्षपतिः. ४ आगच्छन्ती. • [१०] १ रामेण. २ व्याधुटितः,
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