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कं.१,1-1939२,१-९]
उज्झाकण्डं-चउवीसमो संधि [२३ • [२४. चउवीसमो संधि ] गएँ वण-वासहों रामें उज्झ ण चित्तहों भावइ । थिय णीसासे मुअन्ति महि उण्हालऍ णावइ ॥
[१] सयलु वि जणु उममाहिजन्तउ खणु वि ण थक्कइ णा, लयन्तउ ॥ १ । उबेल्लिज्जइ.गिज्जइ लक्खणु - मुरव-वज्जे वाइज्जइ लक्खणु ॥ २ 'सुइ-सिद्धन्त-पुराणेहि लक्खणु ओङ्कारेण पढिजइ लक्खणु ॥ ३ अण्णु वि जं जं किं पि स-लक्खणु लक्खण-णामें वुच्चइ लक्खणु ॥ ४ का वि णारि सारङ्गि व वुण्णी वड्डी धाह मुएवि परुण्णी ॥५ का वि णारि जं लेइ पसाहणु तं उल्हावइ जाणइ लक्खणु ॥ ६ ॥ का वि णारि जं परिहइ कङ्कणु धरई सु-गाढउ जाणइ लक्खणु ॥ ७ का वि णारि जं जोयइ दप्पणु अण्णु ण पेक्खइ मेल्लेंवि लक्खणु ॥८ तो एत्थन्तरे पाणिय-हारिउ पुरे वोल्लन्ति परोप्पर णारिउ ॥९ 'सो पल्लङ्क तं जें उवहाणउ सेज वि स ज तं जै पच्छाणउ ॥ १०
॥ घत्ता ॥ तं घरु रयणइँ ताइँ तं 'चित्तयम्मु स-लक्खणु । "णवर ण दीसइ माएँ रामु संसीय-सलक्खणु' ॥ ११
[२] ताम पडु पडह पडिपहय पहु-पङ्गणे णाइँ सुर-दुन्दुही दिण्ण गयणङ्गणे ॥ १ रसिय सय सङ्ख जायं महा-गोन्दलं दिविल-टण्टन्त-घुम्मन्त-वरमन्दलं ॥ २ 20 ताल-कंसाल-कोलाहलं काहलं गीय संगीय गिजन्त-वर-मङ्गलं ॥३ डमरु-तिरिडिकिया-झल्लरी-रउरवं भम्भ-भम्भीस-गम्भीर-भेरी-रवं ॥४ घण्ट-जयघण्ट-संघट्ट-टङ्कारवं घोल-उल्लोल-हलवोल-मुहलारवं ॥५ तेण सद्देण रोमञ्च-कञ्चद्दुआ गोन्दलुद्दाम-बहु-चहल-अच्चब्भुआ ॥६ सुहड-संघाय सा य थिय पङ्गणे मेरु-सिहरेसुणं अमर जिण-जम्मणे ॥७ 25 पणइ-फम्फाव-णड-छत्त-कइ-वन्दणं ‘णन्द जय भद्द जय जयहि'वर-सद्दणं ॥८
॥घत्ता॥ लक्खण-रामहुँ वप्पु णिय-भिचहिँ परियरियउ । जिण-अहिसेयहों कजें णं सुरवइ णीसरियउ ॥९ 1. 1 A णीसासु. 2 P S णाउ. 3 s परइ. 4 Ps सगाढउ. 5 P पच्छाणउं. 6 A omits lines 8-11 g7 A णवरि. 8 P S ससीयउ लक्खणु.
2: 1 A °कंचुद्धआ. 2 A omits. 3 PS भणइ. 4 A पंदि: 5A जयसदेणं. 6 P रामहु, S रामहो, A "रामहं. 7P परिगरियउं. [१] १ आचाराङ्गादि. २ गन्दुकम् (१) ३ चित्रकर्म सह-लक्षणम्. ४ साम्प्रतम्.
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