________________
१६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क०३,१-९,४,५-११
चिन्तावण्णु णराहिउ जाहिँ वलु णिय-णिलउ पराइउ ताहिँ ॥ १ दुम्मणु एन्तु णिहालिउ मायऍ पुणु विहसेवि बुत्तु पिय-वायएँ ॥२ । 'दिवें दिवें चडहि तुरङ्गम-णाऍहिँ अज्जु काइँ अणुवाहणु पाऍहिँ ॥ ३ दिवे दिवें वन्दिण-विन्देहिँ थुबहि अजु काइँ थुबन्तु ण सुबहि ॥४. दिवें दिवे धुबहि चमर-सहासेंहिँ अज्ज काइँ तउ को वि ण पासेहिँ ॥५ दिवे दिवे लोयहिँ वुच्चहि राणउ अज्जु काइँ दीसहि विद्दाणउ' ॥६ - तं णिसुणेवि वलेण पजम्पिउ 'भरहहाँ सयलु वि रजु समप्पिउ ॥ ७ जामि माऍ दिढ हियवएँ होजहि जं दुम्मिंय तं सबु खमेजहि ॥ ८
॥ घत्ता॥ जे आउच्छिय माय हा हा पुत्त' भणन्ती । अपराइय महएवि महियले पडिय रुयन्ती ॥९
[४] रामें जणणि जं जे आउच्छिय णिरु णिच्चेयण तक्खणे मुच्छिय ॥१ 1 लञ्जियाहिँ 'हा माएँ' भणन्तिहिँ हरियन्दणेण सित्त रोवन्तिहिँ ॥२ घमरुक्खेवेंहिं किय पडिवायण दुक्खु दुक्खु पुणु जाय स-चेयण ॥ ३ अङ्गु वलन्ति समुट्ठिय राणी सप्पि व दण्डाहय विद्दाणी ॥ ४ .. णीलक्खण णीरामुम्माहिय पुणु वि सदुक्खर मेल्लियं धाहियं ॥ ५ 'हा हा काइँ वुत्तु पइँ हलहर दसरह-वंसं-दीव जग-सुन्दर ॥ ६ 20 पइँ विणु को पल्लङ्क सुवेसइ पइँ विणु को अत्थाणे वईसइ ॥७ -
पइँ विणु को हय-गयहुँ चडेसइ पइँ विणु को झिन्दुऍण रमेसइ ॥८ पइँ विणु रायलच्छि को माणइ पइँ विणु को तम्बोलु समाणइ ॥ ९ पइँ विणु को पर-वलु भञ्जेसइ पइँ विणु को मइँ साहारेसई' ॥ १०
॥घत्ता ॥ तं कूवारु सुणेवि अन्तेउरु मुह-वुण्णउ । लक्खण-राव-
विओएं धाह मुएवि परुणउ ॥ ११ 3. 1 In the present Kadavaka the ending one of the fornis is mostly found as °हिं in P S. 2 P पुचतु, थुवंति. 3 PS A विद्दाणउं. 4 A दूमिय. 5 This line is missing in A..
4. I A omits the first line. 2 A लंजिरहिं. 3 5 सदुक्वु. 4 ? उम्मेल्लिय, उम्मिल्लिय.5 Pधाइय.6Psoवंसे.75 जगे.8A सएसह.9 Psझेदएहिं. 1 PSA समाणई. 11 P कूवारउ. 1.2P सुहवुण्णउ, सुहवण्णउ, A मुहचुग्णउं. 13 P परुग्ण, A इय रुण्णउं. : [३] १ हस्तिभिः. २ अपराजिता. [४] १ प्लानमुखः.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org