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________________ १४] सयम्भुकिङ पउमचरिउ 15 'जई घर वा हु तो तिण-समु गणेंवि • तो खेडु मुऍवि दसरर्हेण वुत्तु तो किं' पज्ज करहि विग्घु केक हैं सच्चु जं दिष्णु आसि तो कोसल - दुहिया- दुलहेण 'गुणु केवल वसुऍ भुत्तियाऍ 10 पार्लिज्जउ तायहों तणिय वाय तो एम भणन्तें राहवेण खीरो महण्णव- णिम्मलेण पेक्खन्तहों जगहों पणिव सिरें तहिँ मुणि-सुवय- तित्थ रावण - महुँ जुज्झु णमिण भडारंउ रिसह - जिणु 20 जंगे लोहुँ सुयहुँ पण्डियहुँ किं चित्तइँ गेहेंवि सक्कियइँ [ ० ११, ९, १२, १–९, १, १ - ३ ॥ धत्ता ॥ एउ जे ताय पडिवज्जहि । कज्जेण केण पवज्जहि ॥ ९ [१२] 'जइ सच तुहुँ महु सणउ पुन्तु ॥ १ कुलवंस-धुरन्धरु होहि सिग्घु ॥ २ तं णिरि करहि गुण - रयण - रासि ॥ ३ वोल्लिज्जइ सीया वलहेण ॥ ४ किं खर्णे खर्णे उत्त - पत्तियाऍ ॥ ५ लइ मह उवरोहें पिहिवि भाय' ॥ ६ णिबूढाय -महाहवेण ॥ ७ . गिबाण - महागिरि - अविचलेण ॥ ८ * [२३. तेवीसमो संधि ] Jain Education International ॥ धत्ता ॥ सुरकर-कर-पवर - पचण्डेंहिँ । रहु-सुऍण से यं भुवै दण्डेहिं ॥ ९ वृहयण - कण्ण- रसायणु । तं णिसुणहु रामायणु ॥ [ १ ] पुणु कब उप्पर कर्रमि मणु ॥ १ सत्य- संत्थ परिचड्डियहुँ ॥ २ 'वासेण वि जाइँ णं रजियाँ ॥ ३ 13PS एड. 12, 1 A 2 s पब्वजहिं. 3s कुलवंसु धणुद्धरु. 4 P केकयहो. 5 A करणु. 6 Aपत्तियए. 7Ps पालिजइ, 4 पालिजइ corrected to पालिजउ 8PS पिहिमि. 9A खीरोय'. 10 A सैंई. 11 Ps भुय 1. 1s रामण 2 P ° रामहु, रामहो 3s marginally adds जं after जुज्नु. 4 A णविऊण, 5s भंडारा. 6 Ps करे वि. 7Ps जए. 8 P marginally 'छंद' पाठे, A 'छंद' 9PSAन रंजियाई [१२] १ कोसलो नाम राजा, तेस्य दुहिताऽपराजिता, तस्याः दुर्लमेन रामेण . [१] १ व्यासेन. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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