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१०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
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आयइँ अवरइ मि अप्पुणु तउ करमि'
॥घत्ता ॥
सबइँ राहवहाँ समप्पेवि । थिउ दसरहु एम वियप्पवि ॥ ९
[४]
। तहिँ अवसर आइउ सवण-सङ्घ पर-समयसमीरण-गिरि-अलङ्गु ॥१
दुम्महमह-वम्मह-महण-सीलु भय-भर-भुअण्द्धरण-लील ॥ २ अहि-विसम-विसय-विस-वेय-समणु खम-दम-णिसेणि-किय-मोक्ख-गमणु॥३ तवसिरि-वररामालिङ्गिया। कलि-कलुस-सलिल-सोसण-पैयङ्गु ॥ ४ तित्थङ्कर-चरणम्बुरुह-भमरु किय-मोह-महासुर-णयर-डमरु ॥ ५ . 10 तहिँ सच्चभूइ णामेण साहु जाणिय-संसार-समुद्द-थाहु ॥ ६
मगहाहिउ विसय-विरत्त-देहु अवहत्थिय-पुत्त-कलत्त-णेहु ॥ ७ गिबाण-महागिरि धीरिमाएँ रयणायर-गुरु गम्भीरिमाएँ ॥८
॥ धत्ता॥ रिसि-सङ्घाहिवइ
सो आउ अउज्झ भडारउ । 15 सिवपुरि-गमणु करि' दसरहहों णाइँ हक्कारउ ॥ ९
[५] पडिवण्णऍ तहिँ तेत्तडएँ कालें तो 'पुरे रहणेउरचक्कवालें ॥ १ भामण्डलु मण्डलु परिहरन्तु . अच्छइ रिसि सिद्धि व संभरन्तु ॥२ वइदेहि-विरह-वेयण सहन्तु दस कामावत्थउ दक्खवन्तु ॥ ३ । 'पडिहन्ति ण विजाहर-तियाउ उ खाण-पाण-भोयण-कियाउ ॥४
ण जलद्द ण चन्दण कमल सेज । दुकन्ति जन्ति अण्णोण्ण वेज ॥५ वाहिज्जइ विरहें दूसहेण णउ फिट्टइ केण वि ओसहेण ॥ ६ णीसासु मुएप्पिणु दीर्ह दीह पुणरवि थिउ थकवि जेम सीह ॥७ 'भूगोयरि भुञ्जमि मंण्ड लेवि' णीसरिउ स-साहणु सण्णहेवि ॥८
8 8 अवरह.
4. 1 P SA समीरणु. 2 A भंगुरु. 3 A जगउद्धरण'. 4 PS °सीलु. 5 PS A सहि. 6 PS स्यणायरु गुग. 7 PS णाइ, A नाइ.
5. 1 PS पुर. 2 ? marginally 'परिणेई' पाटे. 3 s ण तहु. 4 PS A विज. 5 Ps णीसास. 6 P S दीह.7 A पुणु थियउ वि थक्विवि. 8 P S भूगोयर भंजेवि..
"[४] १ गरुडः. २ सूर्यः. ५१ न स्त्रीकरोति, नेच्छतीति. २ वलात.
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