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क० १,४-९,२, १-९,३, १-४] गय-दन्तु अयंगमु(?) दण्ड-पाणि
उज्झाकण्डं-बावीसमो संधि [. अणियच्छ्यि -पहु. पक्खलिय-वाणि ॥ ८ ॥त्ता॥ 'पइँ कञ्चुइ काइँ चिराविउ । सुप्पहहें देवत्ति ण पाविउ' ॥९ .
गरहिउ दसरहेंण जंलु जिण-वयणु जिह
पणवेप्पिणु तेण वि वुत्तु एम' 'गय दियहा जोवणु ल्हसिउ देव ॥ १ मढमाउसु जर धवलन्ति आय पुणु अंसइ व सीस-वलग्ग जाय ॥२ गइ तुट्टियं विहडिय सन्धि-वन्ध ण सुणन्ति कण्ण लोयण णिरन्ध ॥३ सिरु कम्पइ मुहें पक्खलइ वाय गय दन्त सरीरहों णट्ट छाय॥४ परिगलिउ रुहिरु थिउ णवर चम्मु महु एत्थु में हुउ णं अवरु जम्मु ॥ ५ ॥ गिरि-णइ-पवाह ण वहन्ति पाय गन्धोवउ पावउ केम राय' ॥६ वयणेण तेण किउ पहु-वियप्पु गउ परम-विसायों राम-वप्पु ॥७ 'सच्चउ चलु जीविउ कवणु सोक्खु तं किज्जइ सिज्झइ जेण मोक्खु ॥८
॥ घत्ता॥ सुहु महु-विन्दु-समु दुहु मेरु-सरिसु पवियम्भइ । वरि तं कम्मु किउ जं पउ अजरामरु लब्भइ ॥ ९ .
के' दिवसु वि होसइ 'आरिसाहुँ कञ्चइ-अवत्थ अम्हारिसाहुँ॥१ को हउँ का महि कहाँ तणउ दव्वु सिंहासणु छत्तइँ अथिरु सव्वु ॥२ जोषणु सरीरु जीविउ धिगत्थु संसारु असारु अणत्थु अंत्थु ॥ ३ ॥ विसु विसय वन्धु दिढ-वन्धणाइँ घर-दारइँ परिहव-कारणाइँ ॥४ सुय संत्तु विढत्तउ अवहरन्ति जर-मरणहँ किङ्कर किं करन्ति ॥ ५ जीवाउ वाउ हय हय वराय संन्दण सन्दण गय गय जे णाय ॥ ६ तणु तणु जे खणद्ध खयहाँ जाइ धणु धणु जि गुणेण वि वङ्क थाइ ॥ ७ दुहिया वि दुहिय माया वि माय सम-भाउ लेन्ति किर तेण भाय ॥८ 98 कंचुई, A °कंचुन.
2. 1A दिवहा. 2 PS गय. 3 5 तुही. 4 s चल.
3. 1 Ps कहिवसु. 2 PS भारिसाहं. 3 PS अझारिसाहं. 4 s इत्थु. 5 PS घरु. 6PS अस्थ.7 PS °मरणई. २ अनिरीक्षितः. ३ शीघ्रम्. [२] १ दुश्चारिणी इव. [३] १ इष्टाप्रभूतानाम्. २ बान्धवाः.३ वाताहत-जल-कल्लोलक्त् कञ्चकाः. ४ रथाः सम्यक्तण्डनाः, 'दोव' खण्डने धातुः. ५ गजा गदा रोगा ज्ञाताः. ६ तृणमिव. ७ दुहिताऽपि दुष्टहृदया इत्ययः. 4 वञ्चना. .
स. प. च० २
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