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'८] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
. [क० १४,३-१०; १, १.७ दस लहु-भार्यरहुँ समप्पियंड लक्खणहाँ अट्ठ परिकप्पियंउ ॥ ३ दोणेण विसल्ला-सुन्दरिय कण्हहाँ चिन्तविय मणोहरिय ॥ ४ वइदेहि अउज्झा-णयरि णिय दसरहेंण महोच्छव-सोह किय ॥५ रह-तिक चउक्तहिँ 'चच्चरहिँ कुङ्कुम-कप्पूर-पवर-वरहिँ ॥ ६. । चन्दन-छडोह-दिजन्तऍहिँ गायण-गीयहिँ गिज्जन्तऍहि ॥ ७
मणिमइयउ रइयउ देहलिउ मोत्तिय कणऍहिँ रङ्गावलिउ ॥८ सोवण्ण-दण्ड-मणि-तोरण वद्ध "सुरवर-मण-चोरणइँ॥९
॥ धत्ता॥ सीय-वलइँ पइसा रियइँ जण जय-जय-कारिजन्ताई। थियइँ अंउज्झहें अविचल रैइ-सोक्ख-स यं भुञ्जन्ताइँ ॥१०
[ २२. वावीसमो संधि] कोसलणन्दणेण स-कलत्तें णिय-घरु आएं। आसाढेहमिहिँ किउ ण्हवणु जिणिन्दहों राएं ॥
[१] 15 सुर-समर-सहासेंहिँ दुम्महेण किउ ण्हवणु जिणिन्दहाँ दसरहेण ॥ १ पट्ठवियइँ जिण-तणु-धोवयाइँ 'देविहिँ दिवइँ गन्धोदयाइँ ॥२ सुप्पहहें णवर कञ्चुइ ण पत्तु पहु पभणइ रहसुच्छलिय-गत्तु ॥ ३ 'कहें काइँ णियम्विणि मणे विसण्ण चिर-चित्तिय भित्ति व थिय विवण्ण'॥४ पणवेप्पिणु वुच्चइ सुप्पहाएँ किर काइँ महु त्तणियऍ कहाएँ ॥५ . जइ हउँ जे पाणवल्लहिय देव तो गन्ध-सलिलु पावइ ण केम' ॥६
तहिँ अवसर कञ्चुइ टुक्कु पासु छण-ससि वणिरन्तर-धवलियासु ॥७ 5 PS °भायरहु, A भायरहं. 6 PS समप्पियाउ. 7 PS परिकपियाउ. 8 P°सुंदरीय. 9A लक्खणे. 10 s चउकिहिं. 11 P°चच्चरेहि, s चञ्चरिहिं, A चेञ्चरहि. 12 PS °वरेहिं. 13 A छडेहिं. 14 PS देह लियउ. 15 Ps रंगावलियउ. 16 PS 'तोरणाई. 17 PS घरे घरे सुमणोहराई P marginally 'सुरवरमणचोरणाई' पाठे. 18s पइसारियउ. 19 PS जण. 20 P S अउज्झहो. 21 PS सुर'. 22 P S °सयई, A सई.
1. 1 P आसाढढमिहें, 5 आसाढढमिहि. 2 P S A पट्टवियइ. 3 Ps °तोवयाई, रोक. याई. 4 P s देवहि. 5 P दिव्व हिं, दिव्वेहिं, A दिण्णई. 6 P SA महुं. 7 PS तणियए. 8 PA केव. २ भरत-शत्रुहण(शत्रुघ्न)योः. ३ रथ्यामार्गः. ४ त्रिपथ्याः, ५ येषु प्रदेशेषु कथकाः कथा कथयन्ति.
[१] १ रामचन्द्रेण,
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