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४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० ,३-९७ ७, १-९,८,१-२ तूर. देवि सो वि सण्णज्झइ . रामु स-लक्खणु ताव विरुज्झइ ॥३ 'मइँ जीयन्ते ताय तुहुँ चल्लहि हणमि वहरि छुडु हत्थुस्थल्लहि ॥ ४ वृत्तु णराहिवेण 'तुहुँ वालउ रम्भा-खम्भ-गब्भ-सोमालउ ॥५ किह आलग्गहि णरवर-विन्दहुँ किह घड भञ्जहि मत्त-गइन्दहुँ । ६ किह रिउ-रहहँ महारहु चोयहि किह वर-तुरय तुरङ्गहुँ दोयहि ॥७ पभणइ रामु 'ताय पल्लट्टहि हउँ जें पहुच्चमि काइँ पयट्टहि ॥८
॥ घत्ता ॥ किं तमु हणइ ण वालु रवि किं वालु दवग्गि ण डहइ ऋणु । 'किं करि दलई ण वालु हरि किं वालु ण डङ्कइ उरगम ॥ ५
[७] पहु पल्टु पयट्टिउ राहउ दूरासंघिय-मेच्छ-महाहउ ॥ १. दूसहु सो जि अण्णु पुणु लक्खणु एकु पवणु अण्णेक हुआसणु ॥२ विणि मि भिडिय पुलिन्दहों साहणे रहवर-तुरय-जोह-गय-वाहणे ॥ ३
दीहर-सरेंहिँ वइरि संतावियं जणय-कणय रणे उबेढाविय ॥४ 1 धाइउ समरङ्गणे तैमु राणउ ववर-सवर-पुलिन्द-पहाणउ ॥ ५
तेण कुमारों चूरिउ रहवरु छिण्णु छत्तु दोहाइउ धणुहरु ॥ ६ तो राहवेण लइजइ वाणेहिँ णाईणि-णाय-काय-परिमाणहिँ ॥ ७ साहणु भग्गउ लग्गुं उमग्गॅहिँ करयलेहिँ ओलम्विय-खग्गेहि ॥ ८
॥ घत्ता ॥ दसहिँ तुरङ्गहिँ णीसरिउ भिल्लाहिउ भजेंवि आहवहाँ । जाणइ जणय-णराहिवेण तहिँ काले वि अप्पिय राहवहाँ ॥९
[८] ववर-सवेर-वरूहिणि भग्गी जणयहाँ जाय पिहिवि आंवग्गी ॥ १ णाणा-रयणाहरणहिँ पुजिय वासुएव-वलएव विसजिय ॥२ 3 A संचल्लहिं. Most of the forms in हि occurring in some following lines are given with "हिं in all the Mss. 4 PS तुहु. 5A प्रहहो. 6 PS महारण. 7 s के. 8 A न दलइ.
7. 1 P°महाहवु. 2 P संतासिअ. 3A °समर. 4 P S A णायणि'. 5 P लग्ग उमग्गेहि, S लग्ग इमम्गेहिं, A लग्गु उम्मग्गे हिं.
8. 1A °समर. २ आदेशं प्रयच्छ, ३ सर्पः.
[७] १ व्याधुटितः. २ रामचन्द्रः. ३ तम इति मिलाधिपतेर्नाम. ४ सर्पणी-सर्पयोः शरीरम्. ५ सीता. [८] १ सेना. २ खाधीना, समस्त-कण्टक-रहिता.
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