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के०४, ३-५,५, १-९,६,१२]
उज्झाकण्ड-एकवीसमो संधि [३. परिणिय केक्का दिण्णु महा-वरु चवइ अउज्यापुर-परमेसरु ॥ ३ 'सुन्दरि भग्गु मग्गु जं रुच्चई' सुहमइ-सुयऍ णवेप्पिणु वुच्चइ ॥४ 'दिण्णु देव पइँ मग्गमि जइयहुँ णियय-सच्चु पालिजइ तइय? ॥ ५ एम चर्वन्तइँ धण-कण-संकुले थियइँ वे वि पुरे कउतुकमङ्गलें ॥६ बहु-बासरेंहिँ अउज्झ पइट्ठइँ सइ-वासव इव रजें वइट्टई ॥ ७ सयल-कला-कलाव-संपण्णा ताम चयारि पुत्त उप्पण्णा ॥ ८
॥ घत्ता॥ रामचन्दु अपरज्जियाँ सोमित्ति सुमित्तिहें एक जणु । भरहु धुरन्धरु केक्कइहें सुप्पहहें पुत्तु पुणु सत्तुहणु ॥९
[५] एय चयारि पुत्त तहाँ रायहाँ णाइँ महा-समुद्द महि-भायहाँ ॥१ णाई दन्त गिवाण-गइन्दहाँ णा. मणोरह सज्जण-विन्दहाँ ॥२ जणउ वि मिहिला-णयर पइट्टर समउ विदेहऍ रजें णिविट्ठउ ॥ ३ ताहँ विहि मि वर-विक्कम-वीयउ भामण्डलु उप्पण्णु स-सीयउ॥४ पुव-वइरु संभैरवि अ-खेवें दाहिण सेढि हरेंवि णिउ देवें ॥५. तहिँ रहणेउरचकवाल-पुरे ..। वहल-धवल-छुह-पङ्कापण्डुरें ॥ ६ चन्दगइहें चन्दुजल-वयणहाँ णन्दणवण-समी तहाँ सयणहों ॥ ७ घत्तिउ पिङ्गलेण अमरिन्दें पुप्फवइहें अल्लविउ णरिन्दे ॥ ८
॥ घत्ता ॥ ताव रज्जु जणयहाँ तणउ उदृद्ध महाडइ-वासिऍहि । ववर-सवर-पुलिन्दऍहिँ हिमवन्त-विञ्झ-संवासिऍहिँ ॥९
[६] वेढिय जणय-कग्णय दुप्पेच्छेहिँ ववर-सवर-पुलिन्दा-मेच्छेहि ॥ १ गरुयासङ्घऍ वाल-सहायहों लेहु विसज्जिउ दसरह-रायहाँ ॥२
4. 1 P°पुरु. 2 A मग्गे. 3 P S मग्गहु. 4 A रमंतइ. 5 A रजो. GA अपराजियहे. 78 सुप्पहहिं. ____b. 1 P s °गिरिंदहो. 2 PS मणोहर. 3 P s महिला. 4 P S A संभरिवि. 5 s उद्ध. 6 P°वासिएहिं, 5 गिरिवासिएहिं.
6. 1 A °समर. 2 Pासंकहे, s°यासंकहोए.
३ लक्षणः.
[५] १ तस्य खुजनस्य. २ स्वभार्यायाः दत्तः. ३ चन्द्रगति विद्याधर-नाना. . [६] भ्रातरौ.
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