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________________ ०५,१०१६, १-९,७,१-६] सुन्दरकण्ड-तिवण्णासमो संघि [२५९ ॥ घत्ता ॥ वारह णियलइँ सोलह विजउ रहें चडियउ । जेहिं धरिजइ समरङ्गण इन्दु वि भिडियः ॥ १० [६] 'तं णिचुणेवि रावणी जेत्थु पावणी तेत्थु रहें पयहो।' _____णं मजाय-भेल्लणो पुहइ-रेलणो सायरो विसट्टो ॥ १ परिवेड्डिउ मारुइ दुजऍहिँ केवलु व अवहि-मणपजऍहिँ ॥२ जम्बू-दीवु व रयणायहिँ पञ्चाणणो व कुञ्जर-वरैहि ॥ ३ लोयन्तां व ति-पहञ्जणेहिँ दिवसाहिउ ब ण णव-घणेहिँ ॥४ एकल्लउ सुहडु अणन्तु वलु . पप्फुल्लु तो वि तहाँ मुह-कमलु ॥ ५ ॥ परिसक्का थक्का उल्ललइ हक्कारइ पहरैइ दणु दलइ ॥ ६ आरोकइ दुक्का उत्थरइ पवियम्भइ रुम्भइ वित्थरइ ॥ ७ ण वि छिज्जइ भिजइ पहरणहिँ जिह जिणु संसारहों कारणेहिं॥८ हणुवहाँ पासेंहिँ परिभमइ वलु णं मन्दर-कोडिहिँ उवहि-जलु ॥९ ॥त्ता ॥ धरेंवि ण सका वलु सयलु वि उक्खय-पहरणु । मेरुहे पासेंहिँ परिभमइ णाई तारायणु ॥ १० ... [७] धाइउ पवण-णन्दणो दणु विमदणों वलहों पुलइयङ्गो । हउ रहु रहवरेण गउ गयवरेण तुरऍण व तुरङ्गो ॥ १ ॥ सुहडें सुहडु कवन्धु कवन्धे छत्तें छत्तु चिन्धु हउ चिन्थें ॥२ वाणे वाणु चार वर-चावें खग्गे खग्गु अणिद्विय-गावें ॥ ३ च'चक तिसूलु तिसूलें मुग्गरुं मुग्गरेण हुलि हूलें ॥४ कणएं कणउ मुसलु वर-मुसलें कोन्तें कोन्तु रणङ्गणे कुसलें ॥५ सेल्लें सेल्ल खुरुप्पु खुरुप्पें फलिहें फलिहु गय वि गय-रुप्पें ॥ ६ ॥ ___6. 1 Ps begin the Kadavaka. with दुवई ॥. 2 A रामणी. 3 P तेत्थ रहो, तित्य रहो, A तेत्तहे. 4 P SA 'मिलणो. 5A रिलणो. 6 Ps केवलि. 7 पजवेहिं. 8 P कोयत्ता वि, 8 लोयत्तओ वि. 9 A omits. 10 PS अणंत. 11 P परिसंभइ, परिउभइ. 12 मंदलकोडिहि, s मुंदकरोरिहि. 13 PS मारुहे. 14 P s मंदरहो पाइ.. T1P परतुरंगो, s परतुंगो. 2 PS °गन्वें. 3 P चक्कई, s चकइ. 4 PS मोग्गर मोग्गरेण. ६७] १ गा(१ दा )रूपेण. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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