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२४-i०,१-१०] सुन्दरकापडं-तिवण्णासमो संधि [. किङ्कर-खन्धावार पलोटिउ अखंउ कुमार जेण दलवट्टिउ ॥८ सो यह कह वि कह वि अभिडियउ सीहहाँ हरिणु जेम कमें पडिवस ॥९
दूरभणेप्पिनु समरहाणे जइ विण मारमि । तो कि धरेप्पिणु • तुम्हहँ समक्खु विस्थारमि ॥ १०
पुणरवि रिउ-मिसुम्भ अहिमाण-खम्भ सुणि बयणु लाथ साथ। जइ ग धरेमि साचु रणे उत्थरन्तु ता छित्त तुम्ह पाय ॥१ अहवइ लकेसर किं परमेसर वीसरिउ । जइपहुँ सुर-सुन्दरें गम्पि पुरन्दरें उत्थरिउ ॥ तइचहुँ तेरथन्तरें छत्त-णिरन्तर धवल-धऍ। सिन्दूरुप्पड्किएँ मिजालङ्किऍ मत्तगएँ ॥३ संजोत्तिय-रहवरें . हिंसिय-हयवरें पवर-थडें। धणु-गुण-टकारखें
कलपल-रउरवें
कुइय-भडें ॥४ आमेलिव-परिवरें. कडिय-सरवरें। गीढ-फरें। पडु-पडहऽप्फालिएँ सह-मालिऍ गहिर-सरें ॥५ पिउ-बाय-सिरि-लुद्धएँ अमरिस-कुद्धएँ जुझ-मणे ।। सबल हुलिहूलिहिँ सत्ति-तिसूलेंहिँ वावरणे ॥६ तहिं.तेहएँ साहणे हप-गय-वाहणे अभिडेबि । सीहेण वे घर-करि धरिउ पुरन्दरि रहें चडेवि ॥ ७ सहि इन्दइ घोसिट णांमु पगासिउ सुरवरहिँ। . • विजाहर-अक्लैहि गन्धव-रक्खेंहि किण्णरेंहि ॥८
तो एक हणुवें अण्णु वि मणुवें को गहणु'। रहें घडिउ सुरन्तर जय-कारन्तउ परम-जिणु ॥९
॥ पत्ता ॥ हरि धुरै देप्पिणु धऍ विजउ जणहों पेक्खन्तहों। जिग्गठ इन्दइ
णं वन्धणारु हणुवन्तहों ॥ १० 12 PS अक्ख. 13 P S समक्ख, A समेक्यु.
3. 1 Ps read दुवई in the beginning. 2 PS अभिडिउ. 3 PS 'रापं. किए. 4 Pटकरेवि, टंकारिवि. 5 P S भरे. 6 PS पड पडहुप्फालिए. 7 P सहोमालिए, s सदोषमालिए. 8 A गहिए. 9 Ps °हुलहूलहि, हुलिलिहूलिहिं. 10 P s चावरण. 11 PS वि. 12Pणाउ.13 Pइ.
[२] १जले गते पालि-बंधु. २ प्रत्यक्षः. [३] १ अश्वी. • स. प.च० ३३
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