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________________ २५६ ] सयम्भुकिङ पउमचरिउ अज्ज वि. सं-सा-रऍ अज्ज वि उज्जाणेंहिँ अज्ज वि तुहुँ रावणु अज़वि मेन्दोअरि • अज्ज वि ते सन्दण • अनवितं साह अज्न वि करें खण्डउ अज्ज विभड - सायरु अज वि पवराह 1. अज्ज वि वहु-लक्खणु 18 वरि ताम दसाणण रामह अपि परयारु रमन्तहो अच्छहि तमें छूढउ जाम विहीणु मंहि अप्फाले वि www मा संसारऍ सिविया - जाणें हिँ जग-जूरावणु सामन्दोअरि परवर - संन्दण गहिय-पसाणु करि - सिर- खण्ड लद्ध-जसायरु जाम ण राहउ जाम ण लक्खणु पेवर - दसाणण जण - अहिरा महों कहीं विजियन्तहों णिय-मणे मूढउ ॥ घत्ता ॥ "मो' दणुइन्द-मद्दणा अक्ख कुमारें घाइए एवहिँ काइँ मन्तु मन्तिज़इ पित्ति णासु णासु जई भीयउ एक पहुंच तोयदवाहणु अच्छउ म मरिचि सहोयरु दहवयहाँ भडु ताव 25 महु पुणु चङ्गउ अवसरु वट्टइ जेणाssसाल - विज विणिवाइय 3. Jain Education International 9 [२] पहूँ विहीसणा है [क० १, ३ – १०,१, १०७ पंइसरहि संचरहि ॥ सार्जे सिय प्राण - पिय ॥ ४* ते तुरय जिगं ॥ ५ J तं जित रणें अजड़ ॥ ६ ओवंडइ अब्भिडइ ॥ ७ हिउ ण भिन्दइ । समुट्ठि इन्दजइ ॥ १० पवर-भुअ जणय-सुअ ॥ ८ णाहिँ सुहु काइँ तुहुँ ॥ ९ 7 P बंदण, Sणंदण. 8s तिय. 9 P उन्बड्डइ, s उच्चडद्द. 10 A. omits this hemistich. 11 PS फालेवि. For Private & Personal Use Only काइँ एव वृत्तं । आइए 'व्हिणि जुत्तं ॥ १ जलें विसट्टै किं वरुणु रइज्जई ॥ २ उत्तर- सक्खि समरें महु वीयउ ॥ ३ अच्छउ भाणुकण्णु पञ्चाणुणु ॥ ४ अच्छउ अण्णु मि जो जो कायरु ॥ ५ जो कि अर्जु ले अब्भट्टइ ॥ ६ व भग्ग वण-पाल वि घाइय ॥ ७ 2. I P's read gas in the beginning and so in all the Kadavakas of 53. Sandhi. 2 A omits this half 3 P पर पइ, s पइ. 4 Ps भक्खए. 6 Ps इणुवि 6P हिकिउ, s हिकिउ 7 A जुत्तु 8Ps omit पिंत्तिय 9P8 जइ पाणहु भीगड. 10 Ps मारिखु. 114 भज्जे कल्ले अहिहद्द. [१] १ सा रते. २ क्षामोदरी ३ आगच्छति ४ उत्तमावस्थानायकः, www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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