SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 296
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सुन्दरकण्ड-तिवण्णासमो संघि (२५५ ... ॥ पत्ता ॥ विणि वि अ-णिविण्णइँ माया-सेण्णइँ ताव परोप्पर जुज्झियई। कहिँ गम्पि पइट्टई कहि मिण दिट्ठई जाव ण केण वि वुझियइँ॥१० उबरिय पर दुद्दम-दणु-विमदणा। * संगर-सम-गय रावण-पवण-णन्दणी ॥ " णं मत्त गय धाइय एकमेकहो। सहसोत्थरिय रण-धव देन्त सक्कहो ॥ १ तो आरुटु समीरण-णन्दणु चूरिउ रण रयणीयर-सन्दणु ॥२ सारहि णिहउ तुरङ्गम घाइय वइवस-पुरवर-पन्थें लाइय ॥ ३ ॥ अक्खकुमार-हणुव थिय केवल वाहाँ-जुझें भिडिय महा-वल ॥४ तो मारुव-सुएण आयामिउ चलणेहिँ लेवि णिसायरु भामिउ ॥५ ताम जाम आमेल्लिउ पाणेहिँ कह वि कह वि णिय-भिच्च-समाणेहिँ ॥६ लोयणइ मि उच्छलियइँ फुटेंवि विण्णि वाहु-दण्ड गय तुडेवि ॥ ७ सिरु णिवडिउ णीलुप्पल-कोमलु किउ सरीरु तहाँ हड्डह पोट्टलु ॥८ ॥ एह वत्स गय मय-मारिच्चहुँ अन्तेउरहुँ असेसहुँ भिच्चहुँ ॥९ ॥ घत्ता ॥ तो णिसियर-णा, कोव-सणाहें हियउ हणेबऍ ढोइयउ । रण-रस-सण अ "णिऍवि स यंभु व चन्दहासु अवलोइयउ ॥१० [५३. तिवण्णासमो संधि ] भणइ विहीसणु लइ अजु वि कन्जु ण णासइ।। रामण रामहो अप्पिज्जउ सीय-महासइ॥ [१] भो भुवणेक-सीह वीसद्ध-जीह तउ थाउ एह वुद्धी अजु वि विगय-णाणं समउ रामेणं कुणहि गम्पि 'संधी ॥११॥ अजा विणिय जाणइ को वि ण जाणइ धरणियलें। अज वि सिय माणहि कुल-खउ माऽऽणहि णियय-वलें ॥२ 11 P भणिवनई, 8 भणिवएणई. - 10: 1 P .s. read दुवई ॥ in the beginning. 2 P 'समग्गा, 8 "संगारसमग्ग. 3PS अंदणो, A °णंदण. 4 P वाहाजुज्झेहि, A काहाउद्धे. 5A मायामिउं; 6 भामिउं. 7Pणीलुप्पलु. 8 Fs °ससणुद्धब. 9 P णिववि, 8 णियवि. • 1. 1 A. reads मारणालं in the beginning. 2 Ps °णामेण. 3 PS रामेण. At the eird P 3 read छ, A ध्रुवकं ॥. 5s A माणहिं. 6 Ps भाणहि, 4 माणहि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy