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________________ *1-1071-10] . सुन्दरकण्ड-दुषण्णासमो संधि [२५१ . 'चङ्गाउ पण-पुत्त पइँ जुज्झिउ जिणवर वयणु कयावि ण वुझिउ ॥ ७ अणुवउ गुणवेउ णउ सिक्खावउ परधण-घउ सुणामु जिह सावउ ॥८ एत्तिय जीव जेण संघारिय ण वि जाणहुँ कहिँ थत्ति समारिय ॥९ • ॥ घत्ता ॥ मइँ धइँ सुकु-लीवहाँ सवहाँ जीवहॉ किय णिवित्तिं मारेवाहों'। । पर एकु परिग्गहु णाहिँ अवग्गहु" पइँ समाणु पहरेवाही' ॥ १० [४] अक्खंत्तहो वयणु सुणेवि तणुर्वेण । पकन्य-मुहॅण सरहसु हसिउ हणुर्वेण ॥ 'जिह एत्तियहुँ तुज्झु वि भिडन्तहो । जीविउ हरमि एत्तिउ रणे रसन्तहो॥१ एव चवन्त सुहड-चूडामणि भिडिय परोप्परु रावणि-पावणि ॥.२ णं विणि मि आसीविस विसहर णं विणि मि मुक्कङ्कस कुञ्जर ॥ ३ णं विणि मि सरहस पञ्चाणण णं विणिं वि कुलिसहर-दसाणण ॥४ णं विणि मि गलगजिय जलहर 'णं वेण्णि वि उत्थल्लिय सायर ॥ ५ ॥ विणि वि रावण-राहव-किङ्कर विणि वि वियड-वच्छ विहणिय-कर ६ विणि वि रत्त-णेत्त डसियाहर विणि वि वहु-परिवड्डिय-रण-भर ॥७ विणिं वि णामु लिन्ति अरहन्तहों तरु णिसियरेंण मुक्कु हणुवन्तहों ॥ तेण वि तिक्ख-खुरुप्पॅहिँ खण्डिउ वलि जिहँ दिसिहि विहों वि ईण्डिउ॥९ ॥ पत्ता ॥ पुणु मुछ महीहरु स-तरु स-कन्दरु सो वि पडीवउ छिण्णु किह ।. जण-णयणाणन्दें परम-जिणेन्दं भीसणु भव-संसारु जिह ॥ १० BA नियुझिाउ. 9 P सुणावळ, s सुणाउ. 10 PS मारेवहो. 11 P. omits this pada. 12 P 8 पहरेवहो. 4. 1 P reads दुबई in the beginning. 2 P S भक्खयहो. 3 Ps णिसणेवि.. 4 A gujarar. 5 p Pafoor.' 6 P s fot. 7 s. omits this pāda. 8 P A aftur. 9 P. राहवरामण', राहवरावण'. 10 P S रण°. 11 Ps णाड. 12 P 8 जिम. 18 PS विहंजवि. 14 A छड. 15 A. pmits this pada. [३] त शी वा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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