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________________ २५० ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ तं णिसुणेवि पजम्पिङ अक्खड सारहि समर- सऍहिँ जसवन्तहों रहवरु वाहि वाहि जहिँ रहवर रहवरु वाहि वाहि जहिँ कुञ्जर रहरु वाहि वाहि जहिँ छत्तइँ रहरु वाहि वाहि जहिँ चिन्धइँ रहरु वाहि वाहि जहिँ गिद्धइँ रहरु वाहि" वाहि जहिँ उववणु 10 20 [२] एत्थन्तरे पण पवर-सारहि । 'समरङ्गणऍ' केण समंड पहारहि ॥ णं तुरङ्ग गये धय-चिन्धइँ ण विहामि । सम्मुह रहवरु कासु वहमि ॥ १ 18 सारहि एहु पावणि जिमैं हणुषों मायरि जं णिज्झाइड णिसियर - सन्दणु वलिउ दिवायर चक्कहों राहु व वलिउ तिविड व अस्सग्गीवहों " दहवयणो व वलिउ सहसक्खों दहमुह णन्दणेण हक्कारिउ Jain Education International 'जो णीसेस - हिय - पडिवक्खउ ॥ २ रहरु बाहि वाहि हणुवन्तहों ॥ ३ संचूरिय-सतुरङ्ग - सणरवर ॥ ४ दलिय - सिरग्ग भग्ग - भुव-पञ्जर ॥ ५ पडियइँ महिहिँ णाइँ सयवत्तइँ ॥ ६ अण्णु पच्चावियइँ कवन्धइँ ॥ ७ परिभमंति वस-मंसे-पइद्धइँ ॥ ८ णं दरमलिउ वियहें जोबणु ॥ ९ ॥ घन्ता ॥ हउँ सो रावणि जिम मन्दोयरि [क० २,१-२०१६ - विहि मि भिडन्तहँ ऐंड दल | मुअइ सुदुक्खउ अंसु-जलु' ॥ १० [३] जं जाणियेउ अक्खड रण- रसाहिउ । रहु सारहिण हणुवह सम्मुहु वाहि ॥ दुक्कन्तु रणें तेण विदिट्टु केहउ । रयणायण गङ्गा-वाहु जेह ॥ १ S मणें आरुड्डु समीरण- णन्दणु ॥ २ रइ भत्तारों तिहुवण-णाहु वै ॥ ३ राहो व मायासुग्गीवहों ॥ ४ तिह हणुवन्तु समुह रणें अक्खों ॥ ५ णिड्डूर कडु आलावहिं खारिउ ॥ ६ 2. 1 A. places & Danda after this. 24 'सारहिं. 3P समउं. 4 Ps पहर हि. 5 P s मरु. 6 P A सवडम्मुहउं. 7 P s विहावमि 8 At the end of the stanza P. 8. read थ ॥ छ ॥, A reads थड्ड 9 PSA महिहि 10 P पणच्चइयइ, 8 पणाचाइयई. 112s 'मज्झ' 12 P वाहे वाहे. 13 Ps एष. 14 Ps जिह. 3. 1P जाणिय, 8 जाणिभ. 2 P रणि, 8 रणे. 3PS सारहिणा. 4 A सम्मुहुं. 5 At the end P. s. छ ॥, 4 धड्ड ॥ 6PS बलिड. 7 P कडुवा, कडु For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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