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________________ २४४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०७,८-१०,८,१-१०३९, ४-५ एत्थन्तर रणे णीसन्दणेण आरुढे पवणहाँ णन्दणेण ॥४ आयामेंवि उम्मूलिउ तमालु णं दिणयरेण तम-तिमिर जालु ॥९ ॥ धत्ता॥ उभय-करेंहिँ भामेवि तरु पहउ कयन्तैवकु दणु-दारें। विहलङ्घालु घुम्मन्त-तणु गिरि व पलोट्टिउ कुलिस पहारें ॥१० [८] ॥दुवई। णिहऍ कयन्तवके अण्णेकु णिसायर भय-विवेजिओ। वर-करवाल-हत्थु कोकन्तु पधाइउ 'मेहर्गजिओ ॥१ सो पच्छिम-वारहों रक्खवालु उब्भड-भिउडी-भङ्गुर-करालु ॥२ ॥ रत्तुप्पल-दल-संकास-णयणु अट्ट-हास-मेल्लन्त-वयणु ॥ ३ णव-जलहर-लील-समुवहन्तु खरगुजल-वर-विज्जुल-लवन्तु ॥४ भउहाँवलि-किय-धणुहर-पवङ्कु हणुवहाँ अंन्भिडिउ विमुक्त सङ्घः ॥ ५ एत्थन्तरें अणिलहों णन्दणेण उपाडिउ चन्दणु दिढ-मणेण ॥६ सप्पुरिसु जेम वहु-खम-सरीरु सप्पुरिसु जेम छेए वि धीरु ॥७ . सप्पुरिसु जेम सीयल-सहाउ सप्पुरिसु जेम सामण्ण-भाउ ॥८ सप्पुरिसु जेम जणवऍ महग्घु सप्पुरिसु जेम सबहुँ सलग्घु ॥९ ॥ घत्ता ॥ तेण पवर-चन्दण-दुर्मेण आहउ मेहणाउ वच्छत्थलें। लउडि-पहारें घाइयउ पडिउ फणिन्दु णाइँ महि-मण्डलें ॥१० [९] ॥दुवई। पवैरुज्जाणवाल चत्तारि वि हय हणुवेण जाहिँ । ' सेसारक्खिएहिँ दहवयणहाँ गम्पिणु कहिउ ताहिँ । १ 'भो भो भू-भूसण भुवण-पाल आरुट्ठ-दुट्ठ-णिट्ठवण-काल ॥ २ पवरामर-डामर-रर्ण रउद्द ण रवर-चूडामणि जय-समुह ॥ ३ 25 दणु-इन्द-विन्द-मद्दण-सहाव सग्गग्ग-मग्ग-णिग्गय-पयाव ॥४ कामिणि-जण-थण-चडण-वियड्ड लङ्कालङ्कार महागुणड्ड ॥ ५ 11 PS उहय?. 12 PS कियंतुवक. 8. 1PS विवजिउ.2 PS मेहगजिउ. 3PS उब्भडु. 4A भमहा'. 5PS धणुहरु व वंकु, A धणुअरु पवंकु. 6 PS अभिटु. 7 Ps पवणहो. 8 P S सुप्पुरिसु. 9 PS छाए वि, A च्छेए वि. 9 "1 P पवलु', 5 पवणु. 2 PS °वण. - [८] १ मेघनादः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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